ऐशबाग मुख्यालय पर 'जलकल महाप्रबंधक मुर्दाबाद' के नारे लगाए

जलकल विभाग के कर्मचारियों का प्रदर्शन

ऐशबाग मुख्यालय पर 'जलकल महाप्रबंधक मुर्दाबाद' के नारे लगाए

  • भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की मांग उठाई

लखनऊ। नगर निगम के जलकल विभाग के कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया है। मौके पर कर्मचारियों ने महाप्रबंधक मुर्दाबाद के नारे लगाए। समन्वय समिति ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा कि आंदोलन अभी जारी रहेगा। पिछले काफी समय से कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर मुखर हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

कर्मचारियों का कहना है कि मांगों को सुनने के लिए महाप्रबंधक कुलदीप सिंह कार्यालय नहीं पहुंचे। इससे कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ी है। आने वाले दिनों में अब लगातार मुख्यालय पर सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे तक कर्मचारी जत्थे में प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद शाम 3 बजे से 5 बजे तक प्रदर्शन किया जाएगा। समिति ने 25 मांगें की है। इनमें समस्याओं के त्वरित समाधान और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की मांग अहम है। कर्मचारियों में बढ़ते असंतोष के बीच हाल ही में ऐशबाग जलकल मुख्यालय पर सैकड़ों कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर महाप्रबंधक को हटाने और स्वेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की अनियमितताओं के खिलाफ नारेबाजी की।

 समिति ने मांगपत्र में कई गंभीर मुद्दे उठाए हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तृतीय श्रेणी के 20% पदों पर पदोन्नति, रिक्त पदों पर शैक्षिक योग्यता के आधार पर समायोजन, प्रमाणित वरिष्ठता सूची उपलब्ध कराने, और सफाई कर्मचारियों को सफाई नायक के पद पर पदोन्नति की मांग शामिल है। कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए कैश लेस चिकित्सा सुविधा, रिटायर्ड PSS कर्मचारियों की तरह अन्य के लिए भी फिक्स वेतन पर पुनर्नियुक्ति और विदाई समारोह उसी दिन आयोजित करने की मांग की है। समिति ने विदाई समारोह के बजट और 1996 में बंद हुए त्योहारी अवकाश भत्ते के आदेश की प्रति मांगी है। 

भ्रष्टाचार के आरोपों में जोनल और मुख्यालय स्तर पर फर्जी फाइलों के जरिए अनियमितताओं का जिक्र है। समिति ने ठेके पर चल रहे ट्यूबवेल और पंपिंग स्टेशनों के अनुबंधों, किराए की गाड़ियों के खर्च, और सरकारी भवनों की मैनुअल बिलिंग में गड़बड़ियों की जांच की मांग की है। कर्मचारियों ने पूछा कि सामाजिक-धार्मिक आयोजनों में पानी के टैंकरों की आपूर्ति का खर्च किस मद से समायोजित होता है। विभाग में ऑडिट रिपोर्ट (2020-2025), आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के पीएफ में 60 लाख रुपए के कथित गबन, और लेखा संवर्ग की पदोन्नति नियमावली की प्रति मांगी गई है। कर्मचारी उत्पीड़न का मुद्दा भी गंभीर है। 

समिति ने आरोप लगाया कि महाप्रबंधक राजस्व से जुड़े कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रहे हैं। जोन 7 के राज सिंह जैसे कर्मचारियों को बिना सुनवाई के दंडित किया जा रहा है, जबकि हाल ही में इन्हें अच्छी वसूली के लिए सम्मानित किया गया था। समिति ने सभी नियमित कर्मचारियों के लिए 5 लाख रुपए का बीमा, कर्मचारी कल्याण निधि और विभागीय आवास आवंटन में पारदर्शिता की मांग की है। जिन कर्मचारियों के पास निजी आवास हैं, उन्हें विभागीय आवास आवंटन के नियमों की प्रति मांगी गई है।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के पीएफ गबन पर कार्रवाई न होने पर समिति ने कानूनी कदम उठाने की चेतावनी दी है। स्वेज इंडिया के साथ मासिक बैठक और पीएसएस/अवर अभियंताओं के ट्रांसफर नीति की जानकारी भी मांगी गई। जांच समिति ने चेतावनी दी है कि मांगें न मानी गईं तो आंदोलन और तेज होगा। विभागीय अधिकारियों की चुप्पी और निष्क्रियता से कर्मचारियों में रोष बढ़ रहा है, जो शहर की जल आपूर्ति व्यवस्था पर भी असर डाल सकता है।

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