गुरु बिन भव निधि तरहि न कोई : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
अलीगढ। वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में चल रहे शतचंडी अनुष्ठान के तहत नित्यप्रति देवी की आराधना की जा रही है। संस्थान के अध्यक्ष स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री,शिवम शास्त्री रवि शास्त्री, ऋषि शास्त्री आदि विद्वान ब्राह्मणों ने मंगलवार प्रातः कालीन बेला में देवी की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करवाया और पुष्प से अर्चन कर तर्पण किया।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने इस अवसर पर बताया कि गुप्त साधना और सभी प्रकार के ऐश्वर्य के लिए गुप्त नवरात्रि में पूजा अर्चना की जाती है,इससे व्यक्ति की समस्त बाधाओं का नाश होता है।कल गुरुवार 10 जुलाई को मनाये जाने वाले गुरु पूर्णिमा महोत्सव को लेकर भी स्वामी जी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा, पूरे भारत में मनाया जाने वाला महापर्व है,यह कृतज्ञता, श्रद्धा, ज्ञान और बुद्धि के मूल्यों पर जोर देता है और उन्हें बढ़ावा देता है,महर्षि वेदव्यास जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है,इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता अनुसार इस दिन वेद व्यास जी ने चारों वेदों की रचना की थी।इस बार पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई को प्रातः 01:36 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन प्रातः 02:06 बजे तक रहेगी।
गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार "गुरु बिन भव निधि तरइ न कोई,
जौ बिरंचि शंकर सम होई"यानि कोई भी व्यक्ति गुरु की कृपा और मार्गदर्शन के बिना भवसागर को पार नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी ज्ञानी या शक्तिशाली क्यों न हो।
इस बार गुरु पूर्णिमा पर्व पर इंद्र योग बन रहा है,जो कि प्रातः काल से रात्रि 09:38 तक रहेगा।उसके बाद से वैधृति योग बनेगा इसके साथ ही भद्रा का भी असर रहेगा, लेकिन यह भद्रा पाताल लोक में रहने के कारण इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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