चिकित्सा संकाय बनने के नियमों में किये बड़े बदलाव
लखनऊ। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने सरकारी चिकित्सकों को एसोसिएट प्रोफेसर बनाने के नियमों में ढील दी है। इसके अनुसार अब दस साल का अनुभव रखने वाले गैर-शिक्षण विशेषज्ञ या कंसल्टेंट सरकारी अस्पतालों में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं। इसके अलावा एक अन्य निर्णय में दो साल का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञों को भी बिना सीनियर रेजिडेंट के रूप में कार्य किये,सहायक प्रोफेसर नियुक्त किया जा सकता है।
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग द्वारा 30 जून, 2025 को जारी अधिसूचना में इस नये नियम के बारे में जानकारी दी गयी है। इस फैसले का उद्देश्य पात्र संकाय सदस्यों (शिक्षकों) की संख्या बढ़ाना है। नए नियमों में यह प्रविधान भी है कि 220 से अधिक बिस्तरों वाले गैर-शिक्षण सरकारी अस्पतालों को अब शिक्षण संस्थान के रूप में नामित किया जा सकेगा।
बताया गया है कि हाल ही में अधिसूचित चिकित्सा संस्थान (संकाय की योग्यता) विनियम, 2025 में कहा गया है, कम से कम 220 बिस्तरों वाले सरकारी अस्पताल में न्यूनतम दो वर्ष के अनुभव के साथ पीजी मेडिकल डिग्री रखने वाला गैर-शिक्षण कंसल्टेंट या चिकित्सा अधिकारी सीनियर रेजिडेंट के रूप में अनुभव की आवश्यकता के बिना सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पात्र होगा। उसे नियुक्ति के दो वर्ष में जैव चिकित्सा अनुसंधान में बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा करना होगा।
कहा गया है कि एनएमसी के तहत पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (पीजीएमईबी ) द्वारा लाए गए इन नियमों का उद्देश्य पात्र संकाय सदस्यों की संख्या बढ़ाना और देश में मेडिकल कॉलेजों में स्नातक (एमबीबीएस) और स्नातकोत्तर (एमडी/एमएस) सीटों के विस्तार की सुविधा प्रदान करना है।
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