कौशांबी एवं इटावा जैसी घटना की प्रस्तावना लिख रही है-हमीरपुर पुलिस
राठ थाना, हमीरपुर पुलिस 3 जुलाई 2025 को रोहित पाठक उर्फ वंशगोपाल पाठक की हत्या का मुकदमा दर्ज करने के बावजूद अभियुक्त कुलदीप एवं नीरज को गिरफ्तार कर जेल भेजने के बजाय थाने पर बैठाकर खानापूर्ति कर रही है। पुलिस के इस आचरण से अपने परिवार के नौजवान सदस्य को खो चुके परिवार, उसके समुदाय में रोष बढ़ रहा है। हत्या के अभियुक्त कुलदीप एवं नीरज वर्चस्ववादी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन लोगों ने अब उल्टे पीड़ित परिवार के सदस्यों को समझौते के लिए डराना, धमकाना शुरू कर दिया है। कुछ पुलिस कर्मी भी हत्यारों के समर्थकों के सुर में सुर मिलाकर समझौते के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
ऐसे में यदि छोटे, बड़े अधिकारियों के दरवाजे पर न्याय की गुहार लगाने वाला मृतक रोहित के परिवार का हौसला टूट जाता है और हताश होकर कोई वरिष्ठ सदस्य कौशांबी की घटना की तर्ज पर न्याय के लिए कुछ उसी तरह का कार्य कर जाता है तो आश्चर्य नहीं होगा। उत्तर प्रदेश पुलिस जाने अनजाने में एक बार फिर कौशांबी और इटावा जैसी घटना की प्रस्तावना लिखने में तल्लीन हो गई है। सरकार को हस्तक्षेप कर त्वरित न्याय सुनिश्चित करनी चाहिए। जाहिर है यहां भी उत्पीड़ित परिवार ब्राह्मण समुदाय से संबंधित है। सरकार पर एक बार फिर ब्राह्मण विरोधी तमगा चश्पा करने से विपक्ष बाज नहीं आएगा।
अपराधिक घटनाओं के प्रति उत्तर प्रदेश पुलिस यदि संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हुए निष्पक्ष एवं त्वरित कार्यवाही करती तो कौशांबी एवं इटावा में उत्पीड़ित परिवार, उनके समाज में न तो इतना रोष व्याप्त हो पाता न ही ऐसी घटनाएं जातीय तनाव और हिंसा की शक्ल ले पातीं।योगी जी अपराध के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की अपनी नीति को सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित करते है। सूबे के कुछ बड़े माफिया निश्चित रूप से मिट्टी में मिला दिए गए हैं। लेकिन पुलिस के बढ़ते निरंकुश आचरण से सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि एवं सामाजिक कार्यकर्ता अब उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। यदि राजनीतिक नेतृत्व जल्दी से पुलिस के निरंकुश आचरण पर रोक नहीं लग पाएगा तो पुलिस उत्तर प्रदेश में भाजपा की उर्वर राजनीतिक जमीन पर मट्ठा डालने का कार्य करेगी।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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