आतंकवाद पर नीति नहीं, नैतिकता चाहिए: मोदी
ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी ने शांति के लिए वैश्विक एकजुटता पर दिया बल
- ब्रिक्स के संयुक्त घोषणा-पत्र में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा
- भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता
नई दिल्ली। ब्रिक्स सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक शांति और सुरक्षा पर एक स्पष्ट और प्रभावशाली वक्तव्य देते हुए आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाने की अपील की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शांति और सुरक्षा केवल एक आदर्श नहीं, बल्कि साझा हितों और वैश्विक भविष्य की नींव है। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित वातावरण में ही मानवता का सर्वांगीण विकास संभव है, और इस दिशा में ब्रिक्स देशों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी सदस्य देशों से साझा चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक और एकजुट प्रयास करने का आह्वान किया।
पीएम मोदी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि 22 अप्रैल को हुआ हमला भारत की आत्मा और गरिमा पर सीधा प्रहार था। उन्होंने इसे केवल भारत नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर आघात बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होना चाहिए, न कि सुविधा। अगर हम यह देखेंगे कि हमला किस देश में हुआ, तो यह मानवता के साथ विश्वासघात होगा। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए और राजनीतिक या निजी स्वार्थ के लिए आतंकवाद पर चुप्पी कतई स्वीकार्य नहीं है। प्रधानमंत्री ने गाजा में बिगड़ती मानवीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत का विश्वास है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, शांति का मार्ग ही मानवता के लिए एकमात्र विकल्प है। उन्होंने भारत की गांधी और बुद्ध की परंपरा का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि युद्ध और हिंसा के लिए भारत में कोई स्थान नहीं है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत हर उस वैश्विक प्रयास का समर्थन करता है जो दुनिया को संघर्ष और विभाजन से निकालकर संवाद, सहयोग और विश्वास की दिशा में ले जाए। अपने संबोधन के आखिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी ब्रिक्स सदस्य देशों को अगले वर्ष भारत में आयोजित होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया और कहा कि यह अवसर वैश्विक सहयोग और साझेदारी को एक नई ऊंचाई देगा।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 भारत के लिए एक बड़ी राजनयिक जीत लेकर आया, जब सम्मेलन के संयुक्त घोषणा-पत्र में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी और कई घायल हुए थे। संयुक्त घोषणा-पत्र में कहा गया कि आतंकवाद किसी भी रूप में, उद्देश्य या औचित्य के साथ स्वीकार्य नहीं है। इसमें यह भी जोड़ा गया कि आतंकवाद को किसी धर्म, नस्ल, राष्ट्रीयता या सभ्यता से नहीं जोड़ा जा सकता और सभी आतंकी संगठनों एवं उनके समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।
पहलगाम हमले को अत्यंत निंदनीय और गंभीर अपराध करार देते हुए ब्रिक्स ने पहली बार इतने स्पष्ट शब्दों में भारत में हुए किसी आतंकी हमले की आलोचना की है। इस बयान को भारत की कूटनीतिक रणनीति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। ब्रिक्स नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की मांग को फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक संस्थाएं अब समकालीन वास्तविकताओं और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को प्रभावी ढंग से प्रतिबिंबित नहीं कर पा रही हैं। यह सुझाव दिया गया कि परिषद की संरचना में बदलाव कर इसे अधिक समावेशी और लोकतांत्रिक बनाया जाए।
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