चारा घोटाला: झारखंड हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद सहित तीन की सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार की
रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने चारा घोटाले के देवघर ट्रेजरी से 89 लाख रुपये की फर्जी निकासी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, बेक जूलियस और सुधीर कुमार भट्टाचार्य की सजा बढ़ाने की सीबीआई की क्रिमिनल अपील स्वीकार कर ली। न्यायाधीश रंगोन मुखोपाध्याय और अंबुज नाथ की पीठ ने सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला लिया।
सीबीआई ने चारा घोटाले में देवघर ट्रेजरी से हुई अवैध निकासी के मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश की अदालत द्वारा दी गयी सजा को बढ़ाने के लिए क्रिमनल अपील दायर की थी। इसमें छह दोषियों की सजा बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। इसमें लालू प्रसाद यादव, बेक जूलियस, सुधीर कुमार भट्टाचार्य आरके राणा, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद का नाम था। इसमें से आरके राणा, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद की मौत हो चुकी है। इसलिए बाकी बचे तीन के मामले में सुनवाई हुई।
सीबीआई की ओर से अधिवक्ता दीपक भारती ने दलील पेश की। उन्होंने अदालत से कहा कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने चारा घाटोले के कांड संख्या आरसी 64ए/96 में जगदीश शर्मा, को पीसी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत सात सात साल की सजा सुनाई थी। साथ ही 10-10 लाख रुपये का अर्थ दंड भी लगाया था।
लेकिन अदालत ने लालू प्रसाद, बेक जूलियस और सुधीर कुमार भट्टाचार्य को साढ़े तीन तीन साल की सजा सुनायी थी। निचली अदालत द्वारा दी गयी यह सजा कम है। क्योंकि निचली अदालत ने अपने फैसले में यह लिखा है कि लालू प्रसाद के संरक्षण के चारा घोटाले को अंजाम दिया गया। निचली अदालत की ओर से लिखी गयी इस बात के मद्देनजर घोटाले को संरक्षण देने वाले को दी गयी सजा कम है। इसलिए इन आरोपितों को ज्यादा सजा मिलनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने वर्ष 1996 में देवघर ट्रेजरी से हुई 89 लाख की फर्जी निकासी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। सीबीआई की ओर से जांच के बाद दायर आरोप पत्र के आलोक में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने 23 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाया था।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद छह जनवरी 2018 को सजा सुनाया था। न्यायालय ने लालू प्रसाद,बेक जूलियस, आरके राणा, फूलचंद सिंह महेश प्रसाद और सुधीर कुमार भट्टाचार्य को पीसी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत साढ़े तीन साल की सजा सुनायी थी। लेकिन एकीकृत बिहार मे लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे जगदीश शर्मा को साढ़े सात साल की सजा सुनायी थी। साथ ही 10 लाख रुपये का दंड भी लगाया था।
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