वंचित जातियों को हिस्सेदारी देकर बनाएंगे सरकार : स्वामी प्रसाद

लखनऊ में जनसेवा दल कार्यालय पर तीसरे मोर्चे की जोरदार दस्तक

वंचित जातियों को हिस्सेदारी देकर बनाएंगे सरकार : स्वामी प्रसाद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2027 की तस्वीर अभी से आकार लेने लगी है। जहां एक ओर भाजपा एनडीए गठबंधन के साथ सत्ता की हैट्रिक लगाने को आतुर है, वहीं सपा नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन भी पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक यानी PDA फॉर्मूले के सहारे वापसी की कोशिश में लगा है। लेकिन अब इन दोनों के बीच एक नया राजनीतिक विकल्प तेजी से उभरता दिख रहा है – 'लोक मोर्चा'। पूर्व कैबिनेट मंत्री और 'अपनी जनता पार्टी' के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में 9 दलों का गठबंधन ‘लोक मोर्चा’ अस्तित्व में आया है। इस गठबंधन को आज मजबूती तब मिली जब जनसेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विनेश ठाकुर के राष्ट्रीय कार्यालय पर लोक मोर्चा की अहम बैठक हुई, जिसमें सभी 9 घटक दलों के शीर्ष नेता शामिल हुए।
 
स्वामी मौर्य ने कहा, "हमने 'लोक मोर्चा' को उन लाखों-करोड़ों लोगों की उम्मीदों का केंद्र बनाया है जो पिछले सात दशकों से सत्ता के हाशिये पर हैं। हमारा मकसद सत्ता नहीं, सत्ता से वंचित हर शोषित और सत्ता से उपेक्षित समाज की बराबर की हिस्सेदारी है। उन्होंने आगे कहा, "हमारा गठबंधन ‘सामूहिक नेतृत्व’ की अवधारणा पर काम करेगा। न कोई सुप्रीमो, न कोई चेहरा थोपने की रणनीति। एनडीए की थक चुकी राजनीति और इंडिया गठबंधन की भ्रमित रणनीति के मुकाबले हम जमीन पर खड़े विकल्प हैं। और मै दावे से कह सकता हूं कि 2027 में लोकमोर्चा सपा भाजपा जैसी आरक्षण और संविधान विरोधी पार्टियों को उखाड़ फेंकेगा और हम सभी 9 घटक दलों के सहारे पिछड़ों अति पिछड़ों की सरकार बना डालेंगे। उन्होंने साफ तौर पर कहा हमारा नारा है वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा, और लोक मोर्चा जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के नारे पर काम करेगा।
 
वोट हमारा, राज तुम्हारा नहीं चलेगा' के नारे के साथ जनसेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनेश ठाकुर ने कहा, "हम 78 वर्षों की उपेक्षा को अब सत्ता में हिस्सेदारी में बदलने निकले हैं। यह सिर्फ राजनीति नहीं, सामाजिक न्याय की नई क्रांति है। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत प्रेरणा साझा करते हुए कहा, "लिवर ट्रांसप्लांट के बाद जीवन का दूसरा मौका मिला, तो इसे समाज के लिए समर्पित कर दिया। जब शरीर टूटा, तब भी आत्मा झुकी नहीं, क्योंकि हम अपने समाज की सत्ता से बेदखली का दर्द लेकर जीते हैं। और अब समाज को सत्ता में हिस्सेदार बनाकर और लोकमोर्चा की सरकार बनाकर ही दम लेंगे। अब हमें स्वामी प्रसाद मौर्य जैसा पिछड़ों अति पिछड़ों का फायर ब्रांड नेता मिल गया है।
सम्यक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तपेन्द्र कुशवाहा ने कहा, "सम्यक पार्टी जातीय राजनीति से ऊपर उठकर वैचारिक क्रांति का पक्षधर है। लोक मोर्चा में हम न्याय, समता और सामाजिक संतुलन का मॉडल लेकर आए हैं। 
 
 पॉलीटिकल जस्टिस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व आईपीएस बीपी अशोक ने कहा हमारी पार्टी का ‘जस्टिस मॉडल’ संविधान के मूल अधिकारों की सुरक्षा है। लोक मोर्चा इस आवाज को और व्यापक बनाएगा। छोटे दलों की आवाज यहां दबेगी नहीं, बल्कि मुखर होगी। यही इस मंच की खासियत है, लोक मोर्चा संविधान और आरक्षण की खिलाफत करने वालो को 2027 में आईना दिखाने का काम करेगा।
 
लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद राजकुमार सैनी ने कहा, “हम पारदर्शिता, टिकट वितरण में भागीदारी और राजनीतिक शुचिता को लेकर गंभीर हैं। लोक मोर्चा की रीढ़ ही लोकतांत्रिक मजबूती है। हम सत्ता की नहीं, व्यवस्था की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में गठित लोकमोर्चा की सरकार बनाने का सभी को संकल्प दिलाया। मोतीलाल शास्त्री अध्यक्ष समानता दल ने कहा, हम उन वर्गों की आवाज हैं जो हाशिये पर हैं, चाहे वह जाति, क्षेत्र समाजिक समानता के आधार पर हो। हमारा एजेंडा समान अवसर और समान अधिकार का है, और लोक मोर्चा इसे स्वीकार कर चुका है। प्रमोद लोधी अध्यक्ष - सबका दल यूनाइटेड ने कहा सबका साथ-सबका दल’ कोई नारा नहीं, हमारी राजनीतिक संस्कृति है। हमारे पास ऐसे जमीनी कार्यकर्ता हैं जो मोहल्ले से लेकर विधान तक लोगों के बीच मौजूद हैं। 
 
हम राजनीति को सेवा से जोड़ते हैं। सत्यनारायण अध्यक्ष - सर्व लोक हित समाज पार्टी ने कहा हमने हमेशा कहा कि जनहित सर्वोपरि होना चाहिए। लोक मोर्चा में हमारी प्राथमिकता जनता की प्राथमिकता होगी। हम शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार पर ठोस नीति देंगे। घनश्याम कोरी अध्यक्ष - स्वतंत्र जनता राज पार्टी ने कहा हम लोकतंत्र को सीधा जनता के हाथ में सौंपने का सपना लेकर निकले हैं। आज की राजनीति में युवाओं की आवाज दब रही है, हम उसे सबसे बुलंद स्वर देंगे। युवा अब सिर्फ वोटर नहीं, नीति-निर्माता भी होंगे। इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि 'लोक मोर्चा' सिर्फ गठबंधन नहीं, बल्कि राजनीतिक सोच का नया प्रयोग है। ये दल सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं लड़ रहे, बल्कि उस व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं जो जनभागीदारी की बजाय केंद्रीकरण को बढ़ावा देती रही है। एनडीए की आक्रामक राष्ट्रवाद और इंडिया की सेक्युलर राजनीति के बीच लोक मोर्चा जमीनी असंतोष और सामाजिक न्याय की भूख को राजनीतिक दिशा देने का प्रयास है। अगर यह गठबंधन अपने विचार, रणनीति और सांगठनिक ढांचे में समरसता कायम रख पाया, तो 2027 के चुनावों में यह वाकई 'तीसरी शक्ति' बन सकता है।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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