बिहार में अधिक तो दिल्ली में बंद का कोई असर नहीं
ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बैंकिंग, डाक और बिजली सेवाएं प्रभावित
पश्चिमी बंगाल में ट्रेड यूनियनों और वामपंथी संगठनों ने किया जोरदार प्रदर्शन
नई दिल्ली। भारत बंद का पूरे देश में मिला-जुला असर देखा जा रहा है। बिहार में राजद-कांग्रेस के चक्का जाम के कारण भारत बंद ज्यादा प्रभावी दिखाई दे रहा है जहां इन दलों के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह बसें-ट्रेन यातायात को प्रभावित किया है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में भी इसका असर दिखाई दे रहा है, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली इस बंद से पूरी तरह अछूती दिखाई दे रही है जहां सड़कों पर बसें सामान्य तरीके से चल रही हैं। स्कूल-कॉलेज खुले हैं और निजी संस्थानों-बैंकों में सामान्य कामकाज हो रहा है।
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इस भारत बंद में शामिल नहीं है। दस के करीब वामपंथी केंद्रीय कर्मचारी संघों ने आज नौ जुलाई को भारत बंद का आह्वान किया था। दावा है कि इन संघों में 25 करोड़ के करीब निजी-सरकारी और सहकारी संस्थाओं के कर्मचारी शामिल हैं और ये सभी इस भारत बंद के समर्थन में हैं। इन श्रमिक संघों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने पिछले दस वर्षों से श्रमिक संघों से कोई मुलाकात नहीं की है और सरकार श्रमिकों-कर्मचारियों के हित में कोई निर्णय नहीं ले रही है। इन संघों ने आरोप लगाया है कि सरकार कर्मचारियों-श्रमिकों की बजाय उद्योगपतियों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है। श्रमिक संघों की मांग है कि निजी-सहकारी क्षेत्रों में काम करने वाली संस्थाओं में न्यूनतम वेतन 26 हजार किया जाए। इसका सबसे बड़ा कारण है कि बढ़ती महंगाई में गरीब श्रमिकों-कर्मचारियों को अपने बच्चों को पढ़ाना लिखाना संभव नहीं रह गया है। उनकी मजदूरी का अधिकतम हिस्सा केवल भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने में निकल जाता है।
दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने पिछले अप्रैल माह से अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 18,456 रुपए और कुशल श्रमिकों का वेतन 24,356 कर दिया है। लेकिन देश के कई राज्यों में श्रमिकों का वेतन अभी भी बहुत दयनीय स्थिति में है। इससे उनका सामान्य जीवन जीना भी मुश्किल हो गया है। श्रमिकों की मांग है कि वर्तमान समय में एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए न्यूनतम वेतन 26 हजार कर दिया जाना चाहिए।
देश में बुधवार को 10 केंद्रीय श्रम संगठनों (ट्रेड यूनियनों) के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान का असर देशभर में देखने को मिल रहा है, जिससे बैंकिंग, डाक, बिजली और सार्वजनिक परिवहन समेत कई अन्य सेवाएं प्रभावित हुईं है। हालांकि, देशभर के किसी भी वाणिज्यिक बाजार पर कथित भारत बंद का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। ट्रेड यूनियनों की ओर से बुलाए गए भारत बंद का पश्चिम बंगाल में मिला-जुला असर देखने को मिला है। बंगाल के कई हिस्सों में भारत बंद को लेकर ट्रेड यूनियनों और वामपंथी संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प, गिरफ्तारियां और सड़क व रेल अवरोध की घटनाएं भी सामने आईं।
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