कुलपति चैम्बर के बाहर धरने पर बैठे डिप्टी रजिस्ट्रार
कुलपति पर शोषण का लगाया आरोप
लखनऊ। डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी कैंपस में हंगामा हो गया। कुलपति कक्ष के बाहर डिप्टी रजिस्ट्रार आरके सिंह धरने पर बैठ गए। अचानक हुए इस घटनाक्रम से कैंपस में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें समझा बुझाकर मनाने की कोशिश की पर वो हटने को तैयार नहीं हुए। डिप्टी रजिस्ट्रार ने कुलपति प्रो.जयप्रकाश पांडेय पर जबरन दबाव बनाने का आरोप लगाया है। कुलपति का कहना है कि ये बेहद आपत्तिजनक आचरण है। अनुशासन के खिलाफ डिप्टी रजिस्ट्रार का बर्ताव कतई बर्दाश्त नहीं होगा। कार्य समिति की बैठक में उनके खिलाफ प्रस्ताव लाया जाएगा और एक्शन लिया जाएगा।
डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. आरके सिंह का कहना है 8 महीने से उन्हें सैलरी नहीं मिली। उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा। कुलपति प्रो.जेपी पांडेय उनसे निजी कारणों से द्वेष रख रहे हैं। जबसे उन्होंने कुलपति पद का कार्यभार ग्रहण किया है, तब से उन पर अनैतिक दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने कहा है कि पुराने मामलों को लेकर कुलपति प्रो.जेपी पांडेय प्रताड़ित कर रहे हैं। बायोमेट्रिक से जुड़ा शासनादेश सभी पर लागू होता है। पर कुलपति सिर्फ मेरे ऊपर ही इसे थोप रहे है। फुल टाइम रजिस्ट्रार के न होने पर यहां सभी गलत काम कराए जाते हैं। इनकी कार्यशैली बेहद गलत है। जब मन होता है किसी की सैलरी काट लेते, किसी की सैलरी रोक देते हैं। यहां तक अवैध नियुक्तियों की शिकायत पर भी अब तक कोई एक्शन नहीं लिया।
डिप्टी रजिस्ट्रार ने बताया कि सुबह पौने 11 बजे 5 - 6 लोगों के साथ बात करने के लिए कुलपति के चैम्बर में गया। पर जब वो सुनने को तैयार नहीं थे। तब मुझे लोकतांत्रिक तरीके से धरने पर बैठना पड़ा। जब तक सुनवाई नहीं होती धरना जारी रहेगा। कुलपति प्रो.जेपी पांडेय ने कहा है कि डिप्टी रजिस्ट्रार बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाने पर राजी नहीं है। उन्होंने जबरन अपने कमरे के अंदर बायोमेट्रिक मशीन लगाकर रखी है। जब मशीन को कमरे से बाहर कर लगवाया गया तो इसका वो विरोध करने लगे। उनके खिलाफ अन्य मामलों में भी जांच चल रही है। वो विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ जाकर काम करना चाहते है। पर इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।
डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ.राजीव कुमार सिंह भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी हैं। उन्होंने बताया कि करीब 4 साल से सक्रिय सदस्य हूं, बावजूद इसके उनके साथ अन्याय हो रहा। हालांकि, इस बाबत कुलपति से सवाल पूछने पर उन्होंने बताया कि नियमानुसार ऐसा होना नहीं चाहिए। एकेटीयू पहले भी विवादों में रही है। इस यूनिवर्सिटी के दो कुलपति जांच के घेरे में रहे।
जांच भी छोटी मोटी नहीं, देश की टॉप इन्वेस्टिगेशन एजेंसी सीबीआई से लेकर एसटीएफ तक की जांच हुई है। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज के पैनल भी बने। मामले में एफआईआर तक हुई। कार्रवाई महज एक कुलपति प्रो. पीके मिश्रा के खिलाफ ही हुई थी। पहले उन्हें पद से हटाकर डॉ. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय से अटैच कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
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