नई शिक्षा नीति के वास्तुकार थे डा.कृष्णास्वामी-संजय द्विवेदी

नई शिक्षा नीति के वास्तुकार थे डा.कृष्णास्वामी-संजय द्विवेदी

संत कबीर नगर , सेमरियावां(संत कबीर नगर) गुरुवार को जिला विद्यालय निरीक्षक के निर्देश पर ए. एच.एग्री.इंटर कालेज दुधारा में इसरो के पूर्व प्रमुख डा. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन के व्यक्तित्व पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य संजय द्विवेदी व संचालन कमरे आलम सिद्दीकी ने किया। प्रधानाचार्य श्री द्विवेदी ने कहा कि डा.कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन नई शिक्षा नीति के वास्तुकार थे।वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और योजना आयोग का भी हिस्सा बने। इसरो के पूर्व अध्यक्ष और भारत के अग्रणी अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन का कार्यकाल देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक स्वर्णिम युग माना जाता है। 

                     विज्ञान शिक्षक औबेदुल्लाह ने कहा कि भास्कर उपग्रहों से शुरुआत डॉ. कस्तूरीरंगन ने भारत के पहले दो पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों — भास्कर-1 और भास्कर-2 — के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया। उनके मार्गदर्शन में इसरो ने पहला परिचालन पृथ्वी अवलोकन उपग्रह आईआरएस-1ए लॉन्च किया, जो इस क्षेत्र में भारत की नींव बना।
             शिक्षक कमरे आलम ने कहा कि पीएसएलवी और जीएसएलवी का विकास
अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पर्यावरण संरक्षण में भूमिका डॉ. कस्तूरीरंगन ने 2013 में वेस्टर्न घाट्स पर प्रसिद्ध रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने छह राज्यों — कर्नाटक, गुजरात, गोवा, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र — में फैले 59,940 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील घोषित करने की सिफारिश की थी। उन्हें भारत के तीनों सर्वोच्च नागरिक सम्मान क्रमशः पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण प्रदान किया गया।
             इस अवसर पर मुहम्मद इश्तियाक अंसारी, फसीहुद्दीन, मुहम्मद यूनुस, कमरे आलम सिद्दीकी, ओबैदुल्लाह, मुहम्मद शाहिद, अब्दुस्सलाम, जुबेर अहमद, मुहम्मद परवेज़ अख्तर, ओजैर अहमद, जुनेद अहमद, सबीह अहमद, असादुल्लाह, रफी अहमद अंसारी आदि मौजूद रहे।

 

Tags:  

About The Author

अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें

टिप्पणियां