नवाबगंज टोल प्लाज़ा पर नियमों की अनदेखी, व्यवस्था पर उठे सवाल
भारी वाहनों की बिना जांच हो रही एंट्री, फास्टैग की तकनीकी दिक्कतों से यात्रियों को हो रही भारी परेशानी
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उन्नाव। नवाबगंज लखनऊ-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित नवाबगंज टोल प्लाज़ा इन दिनों यात्रियों के लिए राहत का नहीं, बल्कि मुसीबत और मनमानी का केंद्र बन गया है। जहां एक ओर टोल टैक्स वसूली में कोई कोताही नहीं बरती जा रही, वहीं दूसरी ओर यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और नियमों के पालन में गंभीर लापरवाही सामने आ रही है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार टोल प्लाज़ा पर फास्टैग प्रणाली की सुगमता, भारी वाहनों की तकनीकी जांच, आपातकालीन लेन की सुविधा और स्थानीय वाहनों के लिए स्पष्ट नीति लागू होनी चाहिए। लेकिन नवाबगंज टोल पर ज़मीनी सच्चाई इन सबका उल्टा है।
भारी वाहनों की बिना जांच एंट्री, फास्टैग स्कैनिंग में तकनीकी बाधाएं, धीमी सेवा, ट्रैफिक जाम और कर्मचारियों के असहयोगात्मक रवैये ने इसे एक ऐसी व्यवस्था बना दिया है, जहां नियम केवल कागज़ों में हैं और ज़मीनी हकीकत में केवल अव्यवस्था दिखाई देती है।
भारी वाहनों की चेकिंग में भारी ढिलाई
टोल प्लाज़ा पर से गुजरने वाले भारी और वाणिज्यिक वाहनों की ब्रेकिंग सिस्टम, हेडलाइट, इंडिकेटर, ओवरलोडिंग और वाहन फिटनेस की कोई जांच नहीं की जा रही है। यह नियमों का सीधा उल्लंघन है। इसके चलते सड़क पर दुर्घटना की संभावना लगातार बनी रहती है।
फास्टैग स्कैनिंग में तकनीकी समस्याएं
टोल लेन में लगे फास्टैग स्कैनर बार-बार फेल हो जाते हैं या अत्यंत धीमी गति से कार्य करते हैं। इससे वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। स्कैन न होने की स्थिति में यात्रियों को जबरन नकद भुगतान करना पड़ता है, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है।
लेन व्यवस्था केवल कागज़ों तक सीमित
टोल पर आपातकालीन वाहनों के लिए निर्धारित लेन तो चिन्हित हैं, लेकिन उनका संचालन प्रभावी नहीं है। अमूमन सभी लेनों में सामान्य वाहनों की भीड़ लगी रहती है जिससे एम्बुलेंस जैसी सेवाएं भी बाधित होती हैं।
स्थानीय वाहनों के लिए अस्पष्ट नीति
आसपास के गांवों एवं कस्बों के वाहन मालिकों को टोल छूट या पास की सुविधा देने को लेकर कोई स्पष्ट और सार्वजनिक नीति लागू नहीं है। इससे टोल कर्मियों और स्थानीय नागरिकों के बीच विवाद की स्थिति बन रही है।
कर्मचारियों का व्यवहार और जवाबदेही पर सवाल
कई यात्रियों का कहना है कि टोल पर तैनात कर्मचारी शिकायतों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। उनका व्यवहार असहयोगात्मक और कई बार अभद्र भी होता है। शिकायत रजिस्टर और हेल्प डेस्क जैसी व्यवस्थाएं सिर्फ नाममात्र की हैं।
क्या बोले जिम्मेदार?
मामले में टोल प्लाजा प्रबंधक ने बताया कि “टैग में बैलेंस न होने के कारण कई वाहन चालक टोल पर आकर ही रिचार्ज कराने लगते हैं। इससे यातायात बाधित होता है और लंबी कतारें लग जाती हैं। वहीं अधिकांश वाहन 'काटा' होकर निकल रहे हैं, जिससे सिस्टम पर दबाव बढ़ जाता है।
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