अमृत स्टेशन योजना‘ के तहत सिद्धार्थ नगर स्टेशन को किया गया विकसित

 अमृत स्टेशन योजना‘ के तहत सिद्धार्थ नगर स्टेशन को किया गया विकसित

सिद्धार्थ नगर रेलवे स्टेशन लुम्बिनी जाने वाले बौद्ध अनुयायियों के लिये प्रवेश द्वार है तथा सबसे निकटवर्ती स्टेशन है। यह स्टेशन पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर-गोंडा लूप रेल खंड पर स्थित एन.एस.जी. 3 श्रेणी का एक प्रमुख स्टेशन है। सिद्धार्थ नगर स्टेशन सीधी ट्रेन सेवा के माध्यम से दिल्ली, मुम्बई, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर, कटिहार, बहराइच, भोपाल आदि नगरों से जुड़ा हुआ है।

गोरखपुर। हिमालय की तराई क्षेत्र में स्थित सिद्धार्थ नगर उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जिलों में से एक है। वर्ष 1988 में बस्ती जनपद के उत्तरी क्षेत्र को विभजित कर सिद्धार्थ नगर जनपद का गठन किया गया। जनपद का नाम बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्माबुद्ध के बचपन के नाम सिद्धार्थ पर रखा गया है, जिनका जन्म कपिलवस्तु के पावन क्षेत्र लुम्बिनी में हुआ था। यह मान्यता है कि 249ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने अपने प्रवास के दौरान यहाँ एक 36 फुट ऊँचे स्तम्भ का निर्माण कराया था, जिस पर यह अंकित है कि

यहाँ पर महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। कालान्तर में तराई का वन आच्छादित यह क्षेत्र शाक्य वंशजों के अधीन रहा। वर्ष 1897-98
में डब्लू.सी. पेपे ने पिपरहवा स्तूप की खोज की, जो कि लुम्बिनी से कुछ दूरी पर स्थित है। यहाँ से एक कलश मिला था, जिसमें
महात्मा बुद्ध के अवशेष प्राप्त हुये थे। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि गोरखपुर-सिद्धार्थ नगर रेल मार्ग पर स्थित पीपीगंज रेलवे
स्टेशन, इन्हीं डब्लू.सी. पेपे के नाम पर रखा गया था। यह क्षेत्र गौतम बुद्ध की जीवन घटनाओं से परिपूर्ण है।

सिद्धार्थ नगर रेलवे स्टेशन लुम्बिनी जाने×वाले बौद्ध अनुयायियों के लिये प्रवेश द्वार है तथा सबसे निकटवर्ती स्टेशन है। यह स्टेशन
पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर-गोंडा लूप रेल खंड पर स्थित एन.एस.जी. 3 श्रेणी का एक प्रमुख स्टेशन है। सिद्धार्थ नगर स्टेशन सीधी ट्रेन सेवा के माध्यम से दिल्ली, मुम्बई, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर, कटिहार, बहराइच, भोपाल आदि नगरों से जुड़ा हुआ है। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर भारतीय रेल द्वारा पुराने सिद्धार्थ नगर स्टेशन को आने वाले लगभग 50 वर्ष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये, ‘अमृत स्टेशन योजना‘ के अन्तर्गत रू. 10.92 करोड़ की लागत से आधुनिक तथा उन्नत यात्री सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण स्टेशन भवन को विकसित किया गया है।
भगवान बुद्ध को समर्पित इस स्टेशन भवन को स्थानीय संस्कृति एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। स्टेशन भवन में सुधार करते हुये पोर्च का निर्माण किया गया है, जो स्टेशन भवन को भव्यता प्रदान कर रहा है। महात्मा बुद्ध के जन्म स्थली के निकट होने के कारण स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया एवं स्टेशन में उनकी आकर्षक प्रतिमा लगाई गई है, जो स्टेशन भवन एवं परिसर को भव्यता प्रदान कर रहा है। यहाँ पर एप्रोच रोड में सुधार के साथ ही 4,714 वर्ग मीटर में सर्कुलेटिंग एरिया का विस्तार एवं विकास किया गया है, जिससे यहाँ आने वाले यात्रियों को आवागमन आसान एवं सुगम हुआ है। यात्रियों को धूप एवं वर्षा से बचाव हेतु प्लेटफॉर्मों पर 10-बे के यात्री छाजन का प्रावधान किया गया है। स्टेशन के तीनों प्लेटफार्मों के सतह में व्यापक सुधार करते हुये 1,700 वर्ग मीटर में ग्रेनाइट लगाया गया है, जिससे यात्रियों को काफी सुविधा हो रही है। स्टेशन पर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त यात्री प्रतिक्षालय का निर्माण किया गया है। स्टेशन पर यात्रियों के बैठने हेतु पर्याप्त संख्या में स्टील तथा कंक्रीट बेंचों का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त महिला प्रतीक्षालय तथा रिटायरिंग रूम का भी प्रावधान स्टेशन पर किया गया है। स्टेशन परिसर में वाहनों की पार्किंग हेतु उत्तम पार्किंग की व्यवस्था की गई है। यात्रियों की सुविधा हेतु अन्तर्राष्ट्रीय मानक के साइनेजेज का प्रावधान किया गया है।

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