जनता की आह, अफसरों की वाह, चला डीएम का चाबुक!
सरोजनी नगर के पूर्ति निरीक्षक व सहायक विकास अधिकारी पर गिरी गाज
लखनऊ। जिलाधिकारी ने जन शिकायतों के निवारण की महत्वपूर्ण प्रणाली, आईजीआरएस को गहरी निष्क्रियता के दलदल में धकेलने वाले अधिकारियों के खिलाफ अंतिम चेतावनी जारी कर दी है। विशेष रूप से सरोजनी नगर क्षेत्र के अधिकारियों पर जिलाधिकारी का कड़ा प्रहार देखने को मिला है।
14 मई को हुई समीक्षा में भयावह तस्वीर सामने आई, जहां जिम्मेदार पदों पर बैठे गैर-जिम्मेदार अफसरों ने मिलकर 11 अत्यावश्यक जन शिकायतों को समय सीमा के बावजूद ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह अराजक स्थिति तब सामने आई है जब अधिशासी अभियंता,लखनऊ सिंचाई यांत्रिकी (अकेले चार मामले),क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी,उच्च शिक्षा विभाग (दो मामले),और अधिशासी अभियंता विद्युत, सहायक नगर आयुक्त नगर निगम, पूर्ति निरीक्षक सरोजनीनगर, सब रजिस्ट्रार-2 स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन, सहायक विकास अधिकारी सरोजनीनगर (प्रत्येक के एक मामला) जैसे अधिकारी शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं।
इस असहनीय लापरवाही पर अपना अंतिम रुख स्पष्ट करते हुए चेतावनी दी है कि आईजीआरएस शिकायतों का त्वरित और प्रभावी समाधान शासन का अटल संकल्प है,और जो कोई भी इस संकल्प को कमजोर करने की कोशिश करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने विशेष रूप से सरोजनी नगर के अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए यह संदेश दे डाला कि बार-बार के निदेर्शों के बावजूद इन अधिकारियों का ढुलमुल रवैया दर्शाता है कि वे जन समस्याओं के प्रति कितने संवेदनशील हैं।
इसके तत्काल और अपरिहार्य परिणाम स्वरूप,जिलाधिकारी ने इन सभी लापरवाह अधिकारियों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। यह अंतिम चेतावनी है कि यदि इन अधिकारियों द्वारा ठोस और संतोषजनक स्पष्टीकरण तुरंत प्रस्तुत नहीं किया जाता है,तो उनके खिलाफ और भी कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। विशेष रूप से,सरोजनी नगर के पूर्ति निरीक्षक और सहायक विकास अधिकारी पर भी इस सख्त कार्रवाई की गाज गिरी है, जो यह दशार्ता है कि जिलाधिकारी किसी भी क्षेत्र में लापरवाही को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं।
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