शिक्षकों एवं छात्रों के हितों पर वार सहन नहीं किया जाएगा: संजीव शर्मा

शिक्षकों एवं छात्रों के हितों पर वार सहन नहीं किया जाएगा: संजीव शर्मा

 


बदायूं। मंगलवार को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष एवं प्रांतीय प्रचार मंत्री संजीव शर्मा के नेतृत्व में  शिक्षकों, अभिभावकों एवं लगभग 145 ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधानों एवं जागरूक संस्थाओं  के पदाधिकारी ने  धरना प्रदर्शन किया।  धरने में माध्यमिक शिक्षक संघ, राष्ट्रीय मध्यान्ह भोजन रसोईया कमी वेलफेयर एसोसिएशन, किसान यूनियन, जनहित संघर्ष मोर्चा  समेत तमाम संस्थाओं ने धरने को समर्थन देकर शासन की शिक्षक छात्र विरोधी नीति का पुरजोर विरोध किया।  इस दौरान उसावा के ब्लॉक अध्यक्ष रामसेवक वर्मा ने कहा कि सरकार गांव में निजी विद्यालयों को मान्यता दे रही है इसके साथ ही काम छात्र उपस्थिति पर छात्रों का नाम काटने का भी दबाव रहता है। सरकार की दोहरी नीति की वजह से आज विद्यालयों में छात्र संख्या कम है। कादरचौक के ब्लॉक अध्यक्ष बृजेश यादव ने कहा कि हमें एकजुट होकर शासन की इन दमनकारी नीतियों का विरोध करना है। विद्यालयों का मर्जर कर निश्चय ही छात्राएं दूर स्थित विद्यालय में नहीं जाएगी और देश की साक्षरता दर में कमी आयेगी।

जिला प्रवक्ता आयुष भारद्वाज ने कहा कि प्रत्येक गांव में एक स्कूल होने से साक्षरता दर में वृद्धि आई है। विशेष रूप से बालिका शिक्षा में बहुत सुधार हुआ है। निंदनीय विषय है कि 27 हजार विद्यालयों का विलय किया जा रहा है। अगर विद्यालयों का मर्जर होता है और बालिकाएं 2 से 4-5 किलोमीटर  दूर तक जाने में अक्षम होकर पढ़ाई छोड़  देने को मजबूर होगी तो ऐसी स्थिति में पूरा उत्तरदायित्व शासन का होगा। इसलिए अच्छा होगा कि मर्जर का ही आदेश वापस से लिया जाए। सहसवान ब्लाक अध्यक्ष अशोक यादव ने कहा कि प्राथमिक विद्यालय में 100 से कम एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 150 से कम छात्र संख्या होने पर प्रधानाध्यापक को समाप्त करना निश्चय ही निंदनीय कृत्य है। सलारपुर ब्लाक अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह पटेल ने कहा कि सरकार विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक एवं भौतिक सुविधाएं उपलब्ध ना कर कर विद्यालयों को बंद कर रही हैं। हमारे नन्हे मुन्ने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। समरेर मंत्री गुरचरण दास ने कहा कि यह मर्जर नहीं मर्डर है। यह मर्डर है उन गरीब मां बाप के सपनों का जिन्होंने अपने नोनीहालों का नामांकन परिषद विद्यालय में कराया है। वजीरगंज मंत्री सलमान खान ने कहा कि  सभी शिक्षक अपने दायित्व का भली भांति  निर्वहन कर रहे हैं पूरे प्रदेश में छात्रों की संख्या में वृद्धि हो रही है। मगर शासन विद्यालयों का मर्जर करके गरीब छात्रों के भविष्य के साथ मजाक कर रही है। रसोईया कर्मी वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मृदुलेश यादव ने कहा कि विद्यालयों का मर्जर होने से मात्र 2000 मासिक मानदेय पर   विद्यालयों में सेवाएं देने वाली भोजन माताओं को भी  सेवाओं से विरत किया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष देशराज सिंह यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले 1984 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में आंदोलन कर रहे शिक्षकों पर घोड़े दौड़वा दिए परंतु शिक्षक फिर भी अपनी मांगों पे डटे रहे जिसके परिणामस्वरूप शिक्षक आज सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं परंतु वर्तमान सरकार शिक्षक एवं छात्र विरोधी साबित हो रही है। आवश्यकता है कि एकजुट होकर सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध किया जाए। किसान यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष सौदान सिंह ने कहा कि बदायूं से लखनऊ या लखनऊ से दिल्ली कहीं तक का सफर तय करना पड़े किसान यूनियन किसी भी हाल में अपने बच्चों के स्कूलों को बंद नहीं होने देगी। 

इस्लामनगर अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह राघव ने कहा कि सरकार को सरकारी विद्यालयों में सुविधा उपलब्ध करानी थी परंतु सरकार ने मर्ज का इलाज न करके विद्यालयों का ही मर्जर कर दिया। सरकार शिक्षकों को ओपीएस के मुद्दे से भटकाना चाहती हैं। उझानी ब्लॉक अध्यक्ष अरविंद दीक्षित ने कहा कि आरटीई एक्ट 2009 में प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक एवं पाँच शिक्षक एवं प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालयों मैं एक प्रधानाध्यापक एवं तीन शिक्षक होने का प्रावधान हैं। परंतु वर्षों से लंबित शिक्षकों की पदोन्नति न करके शासन की ओर से प्रधानाध्यापको को सरप्लस दिखा दिया जा रहा है। एक्ट के अनुसार विद्यालयों का मर्जर करना न्याययोंचित नहीं है। जनहित संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष प्रेमपाल सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों उसके शिक्षकों पर नेतृत्व प्रयोग करने के बाद अब छात्रों पर भी प्रयोग कर रही है छात्रों के साथ यह अन्याय किसी भी परिस्थिति में सहन नहीं किया जाएगा। दहगाव ब्लॉक अध्यक्ष दामोदर सिंह यादव ने कहा कि विद्यालयों का मर्जर निश्चित रूप से लोकतंत्र की हत्या है यदि स्कूल बंद ही करने थे तो यह खोल क्यों गए थे इतना राजस्व इन स्कूलों को बनाने पर क्यों खर्च किया गया था। हम शिक्षक भी दधीचि व चाणक्य की संतान है  अपने शिष्यों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। जिला कोषाध्यक्ष सुशील चौधरी ने कहा कि सरकार एक तरफ 27 हजार स्कूलों को बंद कर रही है वहीं दूसरी ओर 30 हजार कंपोजिट शराब के ठेके खोल रही है। ऐसे में मजबूरी में शिक्षकों को छात्र हित के इस मुद्दे पर सामने आकर लड़ने की आवश्यकता पड़ी। इस लड़ाई को हम अंतिम क्षण तक लड़ेंगे। जिला मंत्री उदयवीर सिंह यादव ने कहा कि ग्राम प्रधानों एवं गांव के लोगों के द्वारा बड़ी ही मुश्किल से अपने गांव में विद्यालयों को स्थापित कराया गया। उन पर लाखों रुपए लगाए गए। तो फिर आज उन स्कूलों को बंद करके सरकार क्या संदेश देना चाहती है। ग्रामीण नोनीहालों के अधिकारों पर वार नहीं होने दिया जाएगा। 

जिलाध्यक्ष एवं प्रांतीय प्रचार मंत्री संजीव शर्मा ने  कहां की जनपद बदायूं में लगभग 145 ग्राम पंचायत के विद्यालयों को मर्ज किया जा रहा है। इसके साथ प्रधानाध्यापकों के पदों का भी समाप्त किया जा रहा है।  ऐसी स्थिति में वृहद स्तर पर संघर्ष करने की आवश्यकता है। धरने का समापन मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट सुरेश चंद्र पाल एवं सीओ सिटी रजनीश उपाध्याय को सौपकर किया गया। धरने का संचालन राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक अनुज शर्मा ने किया। इस दौरान तहसील प्रभारी सदर प्रीति राठौड़, तहसील प्रभारी दातागंज अनुराग यादव, तहसील प्रभारी विनेश शर्मा, तहसील प्रभारी सहसवान राधेश्याम व  समस्त विकास शेत्रों के अध्यक्ष, मंत्री, कोषाध्यक्ष, कार्य समिति सदस्य, संघर्ष समिति के पदाधिकारी, प्रधान, विद्यालय प्रबंध समिति अध्यक्ष,  शिक्षक शिक्षिकाएं, भोजन माताएं, जागरूक गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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