प्रभु के इस दरस को 15 दिनों तक जेल में थे कानपुर के आर.आर.मोहन
कानपुर। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का दिन नजदीक आ गया है, अनुष्ठान भी शुरू हो चुका है। इस दिन का इंतजार कर रहे लाखों लोग अपनी-अपनी उन स्मृतियों को साझा कर रहे हैं जो उन्होंने अपनी युवावस्था में इस दिन के लिये संघर्ष किये थे। आज वो दिन याद करके कानपुर के भी हजारों कारसेवक खुशी के आंसूओं के साथ अपनी कहानियां सुना रहे हैं। ऐसा ही कुछ 78 वर्षीय रिटायर्ड अध्यापक आर.आर. मोहन ने भी अपनी उन दिनों की बातों को हिन्दुस्थान समाचार के साथ साझा किया, जब उन्होंने 1992 में 15 दिनों की जेल काटी थी।
पूरा विश्व वर्ष 2024 की 22 तारीख को अपनी अंतिम सांसों तक याद रखेगा। आने वाली यह तिथि इतिहास के पन्नो में स्वर्णाक्षरों से लिखी जाने वाली है। देश के हर उस इंसान के लिये यह दिन सबसे महत्वपूर्ण होने वाला है जो ईश्वर में अपनी आस्था रखता है। इस दिन करोड़ों श्रद्धालुओं के आराध्य प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा पांच सौ वर्षो के बाद होने वाली है। इस दिन के इंतजार में बैठे कई ऐसे भक्त भी हैं जो अपनी अंतिम सांसों को गिन रहे हैं और प्रभु से अपने जीवन की भीख सिर्फ 22 जनवरी तक मांग रहे हैं। वो मना रहे हैं कि इस दिन का दृश्य वो देख लें और उसके बाद प्रभु चाहें उनको अपनी शरण मे ले लें।
हर एक श्रद्धालु इस भव्य दिन को अपने जीवन में अलग स्थान देने को तैयार है। वो तैयार हैं अपनी आने वाली पीढ़ी को बताने के लिये की वह भी प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी रहे हैं। ऐसा ही कुछ कानपुर के रिटायर्ड अध्यापक और राम की सेवा में अपना जीवन लगाने वाले 78 वर्षीय कारसेवक भूतपूर्व प्रधानाचार्य एवं रसायन विज्ञान प्रवक्ता,भारतीय विद्यालय इंटर कॉलेज आचार्य नगर,कानपुर के आर.आर. मोहन भी सोच रहे हैं।
वह बताते हैं कि किस तरह उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के लिये लड़ाई लड़ी है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार के संवाददाता को बताया कि अयोध्या में कारसेवा करते हुए उन्होंने 15 दिन की जेल काटी थी। बताते हैं की वह आचार्य नगर स्थित भारतीय विद्यालय इंटर कॉलेज में पढ़ाता था। तब उनकी उम्र 47 वर्ष थी। 6 दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि आंदोलन में हम पांच लोग कानपुर से गिरफ्तार हुए थे।
उन्होंने बताया हम लोगों को केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ ले जाया गया था। कारसेवकों की संख्या इतनी अधिक थी की जेल छोटी पड़ गई थी। तब क्रिश्चियन कॉलेज फर्रुखाबाद को जेल से ही अटैच कर दिया था। मेरे साथ मेरे पड़ोसी राकेश दुबे एवं मनोज गुप्ता भी साथ में थे। ऐसी बहुत कहानियां कानपुर की कई गलियों से जुड़ी हैं, जहां पर लोग अपनी-अपनी उन छोटी-छोटी बातों को भी अपने बच्चों को बताते नजर आ रहे हैं। किस तरह उन्होंने अपने प्रभु के लिए छोटा सा ही सहयोग किया है। आर.आर. मोहन अपने साथियों के साथ 22 जनवरी को भव्य दिवस के रूप में मनाएंगे और फिर अयोध्या प्रभु के दर्शन करने जाएंगे।
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