लक्ष्य सिद्धी को आध्यात्मिक जगत से ऊर्जा: मोदी

भारत आत्मनिर्भर होने के लक्ष्य पर काम कर रहा

लक्ष्य सिद्धी को आध्यात्मिक जगत से ऊर्जा: मोदी

गुजरात और सौराष्ट्र की धरती महान संतों और विभूतियों की भूमि 2 जनवरी को सभी से हर घर में श्रीराम ज्योति प्रज्वलित करने का का आग्रह

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लक्ष्य सिद्ध करने के प्रयासों को आध्यात्मिक जगत के लोगों से ऊर्जा मिलती है। प्रधानमंत्री मोदी चारण समाज द्वारा पूज्य आई श्री सोनल मां के तीन दिवसीय जन्म शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में एक वीडियो संदेश में कहा, “आज जब भारत विकसित होने के लक्ष्य पर, आत्मनिर्भर होने के लक्ष्य पर काम कर रहा है, तो आई श्री सोनल मां की प्रेरणा, हमें नयी ऊर्जा देती है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति में चारण समाज की भी बड़ी भूमिका है।”यह महोत्सव इस समाज के आस्था के केंद्र मढड़ा धाम में आयोजित किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री सोनल मां देश के लिये, चारण समाज के लिये, माता सरस्वती के सभी उपासकों के लिये महान योगदान की महान प्रतीक हैं। भागवत पुराण जैसे ग्रन्थों में चारण समाज को सीधे श्रीहरि की संतान कहा गया है। इस समाज पर माँ सरस्वती का विशेष आशीर्वाद भी रहा है। इसीलिये, इस समाज में एक से एक विद्वानों ने परंपराअविरत चलती रही है।श्री मोदी ने कहा कि सोनल मां के दिये गये 51 आदेश, चारण समाज के लिये दिशादर्शक और पथदर्शक हैं। चारण समाज को इसे याद रखना चाहिये और समाज में जागृति लाने का काम निरंतर जारी रखना चाहिये।

उन्होंने कहा, “ मुझे बताया गया है कि, सामाजिक समरसता को मजबूत करने के लिये मढड़ा धाम में सतत सदाव्रत का यज्ञ भी चल रहा है। उन्होंने इस प्रयास की सराहना की और विश्वास जताया कि मढड़ा धाम राष्ट्र निर्माण के ऐसे अनगिनत अनुष्ठानों को गति देता रहेगा।चारण समाज के लोग मूलत: गुजरात-सौराष्ट्र क्षेत्र के निवासी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ गुजरात और सौराष्ट्र की धरती महान संतों और विभूतियों की भूमि रही है। सौराष्ट्र की इस सनातन संत परंपरा में श्री सोनल मां आधुनिक युग के लिये प्रकाश स्तम्भ की तरह थीं। उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा, उनकी मानवीय शिक्षायें, उनकी तपस्या, इससे उनके व्यक्तित्व में एक अद्भुत दैवीय आकर्षण पैदा होता था। उसकी अनुभूति आज भी जूनागढ़ और मढड़ा के सोनल धाम में की जा सकती है।”उन्होंने कहा कि श्री सोनल मां की ओजस्वी वाणी खुद इसका एक बहुत बड़ा उदाहरणरही है।

उन्हें पारंपरिक पद्धति से कभी शिक्षा नहीं मिली, लेकिन, संस्कृत भाषा उस पर भी उनकी अद्भुत पकड़ थी तथा शास्त्रों का उन्हें गहरा ज्ञान प्राप्त था। उनके मुख से जिसने भी रामायण की मधुर कथा सुनी, वो कभी नहीं भूल पाया।प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भी उल्लेख किया । उन्होंने कहा, ‘हम सब कल्पना कर सकते हैं कि आज जब अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने जा रहा है, तो श्री सोनल मां कितनी प्रसन्न होंगी।”उन्होंने श्रीराम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन 22 जनवरी को सभी से हर घर में श्रीराम ज्योति प्रज्वलित करने का का आग्रह।श्री मोदी ने मंदिरों में स्वच्छता के लिये कल से शुरू किये गये विशेष अभियान का भी उल्लेख किया। इस दिशा में भी हमें मिलकर काम करने का आह्वान किया । उन्होंनेकहा, “मुझे विश्वास है, हमारे ऐसे प्रयासों से श्री सोनल मां की खुशी अनेक गुणा बढ़जायेगी।”समारोह में समाज की वर्तमान आध्यात्मिक मुखिया गादीपति- कंचन मां धाम के व्यवस्थापक गिरीश आपा और समाज के बड़ी संख्या में आये लोग शामिल थे।

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