जूतम-पैजार के साथ निकला लाॅट साहब का जुलूस
जुलूस सम्पन्न होते ही डीएम-एसपी ने ली राहत की सांस
पल-पल की जानकारी ले रहा था प्रदेश शासन
शाहजहांपुर। नगर में निकलने वाले लाॅट साहब के जुलूस पर मुख्यमंत्री व मुख्यसचिव की थी और डीजीपी तो बराबर शाहजहांपुर केी लोकेशन ले रहे थे। जिस तरह की होली नगर में प्रशासन द्वारा सम्पन्न करायी जाती है इस तरह की होली पूरे उत्तर प्रदेश में किसी स्थान पर नहीं होती है। जबकि शाहजहांपुर में लाॅट साहब का जुलूस प्रातः 8 बजे से शुरू होकर दोपहर 12.00 बजे समाप्त हो जाता है।
लाॅट साहब के जुलूस में हुडदंगी कर रहे जूतम-पैजार
यह जुलूस नगर के कोतवाली में कोतवाल को सलामी देकर शुरू होता है और दोपहर 12.00 बजे कोतवाली के मोहल्ला बंगला के नीचे समाप्त हो जाता है। इस दौरान जिले की तहसीलों से पुलिस फोर्स शांितपूर्ण जुलूस सम्पन्न कराने के तैनात किया जाता है। जिस सड़क से यह जुलूस गुजरता है उस सड़क के दोनों तरफ पुलिस बल तैनात किया जाता है। हालांकि कुछ पुलिसकर्मी छतों पर तैनात किये जाते हैं और ड्रोन कैमरे की नजरों से पूरे जुलूस की निगरानी की जाती है। शाहजहांपुर की होली उत्तर प्रदेश के सभी जिलों अलग मनायी जाती है। इस होली को अगर अपनी भाषा में कहा जाये तो जूतमपैजार होली होती है।
अब लाॅट साहब की बात करें तो दूसरे जनपदों से आकर लोग लाॅट साहब बनते हैं और मुंह मांगा हजारों रूपये दिये जाते हैं। नगर में होली के दिन उठने वाला रंगोत्सव के जुलूस को सम्पन्न कराने के लिए जिला प्रशासन के हाथ-पैर फूल जाते हैं। जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक दोनों की नजर जुलूस पर ही रहती हैं, हालांकि जिलाधिकारी व एसपी की निगरानी के बावजूद घटनाएं हो जाती हैं। मारपीट तो आम बात है। इसके अलावा प्रशासन एक दिन पूर्व से ही शराब पर प्रतिबंध लगा देते हैं। फिर भी पियक्कड़ दो दिन पहले ही शराब की व्यवस्था कर घर पर रख लेते हैं और लाॅट साहब के जुलूस के समय उसका सेवन किया जाता है।
शराब लाॅट साहब को भी पिलायी जाती है, लाॅट साहब पर जूतमपैजार करने वाले भी सभी नशे में होेते हैं। सुबह से दोपहर तक नशे की हालत में ही लाॅट साहब का बचाव करते हैं और पुलिस सादी वर्दी में लाॅट साहब की लढ़िया पर ही रहती है। यहां पर पुलिस को भी अपशब्दों से नवाजा जाता है लेकिन पुलिस सहनशीला से काम लेती हैं और अपशब्दों सुनने के बाद भी लाॅट साहब व हुड़दंगियों की सुरक्षा करते हैं। जिस रास्ते से लाॅट साहब का जुलूस गुजरता है उन घरों से लगातार एक वर्ष पुराने जूते-चप्पल बरसाये जाते हैं घरों में पूरे साल जूते-चप्पल लाॅट साहब के लिए एकत्र किए जाते हैं। लाॅट साहब का जुलूस सम्पन्न होने के साथ ही डीएम-एसपी ने राहत की सांस ली।
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