झूठी अना को ओढ के खुद्दार बन गये...
भाषाएं इंसानी दिलों को करीब लाती है
रुड़की/मंगलौर (देशराज पाल)। सूफी हजरत शाह विलायत साहब उर्स के मौके पर मंगलौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। इस मौके पर पूर्व डायरेक्टर दानिश मुख्य अतिथि तथा सफल संयोजन डा. तनवीर गौहर ने किया।
मंगलवार को देर शाम मंगलौर में हुए मुशायरा में विशेष अतिथि राजेश असीर देहरादूनी रहे जिनको प्रो. उनवान चिश्ती अवार्ड उत्तराखण्ड सरकार की ओर प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रूपये का नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस मुशायरे में पंडित लक्ष्मण महाराज भी अतिथि के रूप में पधारे। आपको बता दे कि इन्होंने दिल की गीता जो श्रीमद्भागवत गीता का उर्दू अनुवाद है उसे हिंदी में अनुवाद किया। मुशायरे में आए कवि एवं शायर राजेश असीर ने कुछ इस तरीके से कलाम पेश किया कि झूठी अना को ओढ के खुद्दार बन गये, हम खुद ही अपनी राह की दीवार बन गये। प्रोफेसर तनवीर चिश्ती ने पढ़ा कि काश ये मकदूर होता तजुर्बे के वास्ते, हम तेरी जुल्फें तो क्या खुशबू को छू कर देखते। साहिल देहरादूनी ने अपने अंदाज में पढ़ा कि आजजी में भी अब ये खतरा है, लोग कमतर समझने लगते हैं। उस्मानी देवबंदी ने पढ़ा कि नफरतें चाहतों में बदल जाएगी, आदमियत हो अगर आदमी का लिबास। शमीम कुरेशी मंगलौरी ने कुछ इस तरीके से कलाम पेश किया कि जोर से तो न मानेंगे अरबाबे दिल, तुम कहोगे तो मजबूर हो जायेंगे। इस अवसर पर मुशायरे में विशिष्ट अतिथि व उद्घाटन करने वाले क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी महराज फारुकी भी उपस्थित रहे। इस मौके पर साहिल देहरादूनी, कलीम मुशीरी देहलवी, कमल देवबंदी, जकी सिद्दीकी, सबा तरन्नूम एवं इस वर्ष उर्दू में डाक्टरेट प्राप्त करने वाले डा. अब्दुल सहित दर्जनों कवियों ने भाग लिया। अन्त में मुशायरे में आए सभी अतिथियों का सज्जादानशीन प्रोफेसर तनवीर चिश्ती ने धन्यवाद किया।
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