पड़ोहरा खदान में उड़ाई जा रही एनजीटी की धज्जियां
असलहे के दम पर बार्डर तक निकलवाते हैं ओवरलोड ट्रक
बांदा। पैलानी तहसील में केन की चलने वाली बालू खदानों में मानक विहीन हो रहे बालू के अवैध सहित नियम कानूनों की खुलेआम उड़ रही धज्जियां पैलानी की सड़कों पर सरेआम नजर आती है। पैलानी प्रशासन की मिलीभगत कहे या फिर खनिज मोहकमे की रहमदिली जो पैलानी क्षेत्र में चलने वाली बालू की खदानों पर इतनी मेहरबानी दिखाकर बालू के लूट के खेल को खुलेआम मंजूरी देकर बालू कारोबारियों का मनोबल बढ़ा रही है। सूत्रों की सच माने तो यह भी जानकारी मिली है कि ओवरलोड बालू लदे वाहनों पर कार्यवाही होने के बाद भी केन की बालू खदानों से निकलने वाले पैलानी की सड़कों पर ओवरलोड बालू लादे बड़ी ही आसानी से देखे जा सकते हैं।
गौरतलब हो कि बसपा शासनकाल से सुर्खियों में आई केन की रेत की लूट का कारोबार इस समय अपने चरम पर है। चेहरे पुराने काम भी पुराना और लूट के तरीके बस समय के साथ बदल गये हैं। पहले की सरकारों में मनमर्जी से बालू माफिया अपने कारोबार को अंजाम देते थे, निजाम बदलते ही अब इस लूट के कारोबार को अंजाम देने के लिये मैनेजमेंट गुरूओं की मदद से चलाया जाता है।
सूत्रों की सच माने तो उनका कहना है कि पड़ोहरा बालू खदान से निकल रहे ओवरलोड वाहनों का गत दिनों पूर्व पैलानी प्रशासन के द्वारा लगभग 9 वाहनों पर कार्यवाही भी की गयी, लेकिन कार्यवाही का भय एक भी नहीं कारोबारियों को नहीं रहा। सुबह की पौ फटते ही ओवरलोड वाहनों की निकासी का काम पड़ोहरा बालू खदान से शुरू हो गया। सूत्रों की सच माने तो उनका कहना है कि इसमें एक अध्यापक शामिल है जो बबेरू क्षेत्र का रहने वाला है जिसकी तैनाती प्राथमिक विद्यालय में है जो लगभग 1 साल से स्कूल नहीं गया । जिसने जसपुरा थाना क्षेत्र के रामपुर गांव के एक गुर्गे को भी इस खदान में शामिल किया है जो गुंडई और असलाहों के दम पर ट्रैकों को बॉर्डर तक निकलवाते हैं ।
इस बालू खदान में अपनी शिरकत करके पड़ोहरा बालू खदान में चार चांद लगा रहे हैं। इतना ही पावर, पैसे और मैनेजमेंट के आगे खनिज प्रशासन और पैलानी प्रशासन भी इनके आगे जुबान खोलने से डरता है। मालामाल होने के लिये दलबदल जैसी कार्यवाहियों में माहिर नेता और माफियाओं के गठजोड़ के कारण पड़ोहरा बालू खदान में अवैध खनन और ओवरलोड का खेल चरम पर है। लोडिंग प्वांइट पर लगने वाला कैमरा भी दिशा विहीन होकर अपनी सही दिशा को तलाश रहा है इतना ही नहीं बालू खदान अनुज्ञा पत्र की शर्तों का भी खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि अगर सही ढंग से जांच हो जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।अब देखने वाली बातें है कि इस पर तहसील प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।
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