जिस पर घूसखोरी का आरोप, मंडलायुक्त ने उसे ही सौंपी जांच!

ग्राम्य विकास विभाग का मामला, एक लाख रिश्वत लेने का आरोप

जिस पर घूसखोरी का आरोप, मंडलायुक्त ने उसे ही सौंपी जांच!

  • सीएम जनसुनवाई पर विकलांग महिला कर्मचारी ने की शिकायत
  • उच्चाधिकारी ने किया पास, कार्यालय के अधिकारी ने लगाई रोक

लखनऊ। ग्राम्य विकास विभाग में तैनात एक विकलांग महिला कर्मचारी ने अपने ही विभाग में तैनात अधिकारी पर एक लाख रुपए घूस मांगने का आरोप लगाया है। इस मामले में महिला ने सीएम जनसुनवाई पोर्टल सहित, प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास विभाग एवं आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग से शिकायत की है। सीएम जनसुनवाई पर की गई शिकायत के बाद मामले की जांच मंडलायुक्त लखनऊ को दी गई थी। हैरान करने वाली बात है कि मंडलायुक्त कार्यालय से यह जांच आरोपी अधिकारी को ही सौंप दी गई है। इस मामले में महिला का कहना है कि आरोपी अधिकारी को जांच मिलने के बाद वह उसे लगातार प्रताड़ित कर रहा है।

जानकारी के मुताबिक मामला ग्राम्य विकास विभाग के संयुक्त विकास आयुक्त लखनऊ कार्यालय से जुड़ा है। इस कार्यालय में सईदा बेगम उर्दू अनुवादक सह प्रधान सहायक के पद पर तैनात है। प्रमुख सचिव और ग्राम्य विकास आयुक्त से की गई शिकायत में महिला ने कहा है कि उन्हें गाइनो से संबंधित समस्या हुई थी। उन्होंने स्त्री रोग विशेषज्ञ से इलाज कराया था। इस दौरान उनकी चिकित्सा में तीन लाख पंद्रह हजार तीन सौ चौतीस रुपए हुआ। इस शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन किया गया था।

महिला की शिकायत के अनुसार मेडिकल बिल की जांच के बाद निदेशक एवं प्रमुख अधीक्षक बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ ने दो लाख चौरासी हजार पांच सौ चौतीस रुपए की संस्तुति की। राशि के भुगतान के लिए कागज संयुक्त विकास आयुक्त लखनऊ बीते 6 सितंबर को भेजा गया। महिला कर्मचारी का आरोप है कि संयुक्त विकास आयुक्त के के सिंह ने भुगतान के लिए एक लाख रुपए की रिश्वत की मांग की है। रिश्वत न देने पर क्लेम को अस्वीकृत करने की धमकी दी जा रही है। 

आरोप है कि के के सिंह द्वारा मेरी मेडिकल क्लेम की फाइल को जानबूझकर 4 महीने से अधिक समय से लटका रखा है। महिला ने इस मामले में सीएम जनसुनवाई पोर्टल सहित,प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास विभाग एवं आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग से शिकायत की है। सीएम जनसुनवाई पर की गई शिकायत के बाद मामले की जांच मंडलायुक्त लखनऊ को दी गई थी। हैरान करने वाली बात है कि मंडलायुक्त कार्यालय से यह जांच आरोपी अधिकारी को ही सौंप दी गई है। 

इस मामले में महिला का कहना है कि आरोपी अधिकारी को जांच मिलने के बाद वह उसे लगातार प्रताड़ित कर रहा है। इस मामले में मंडलायुक्त लखनऊ से सम्पर्क करने की कोशिश की गई किन्तु उनका उत्तर नहीं मिला।

क्या बोले आला जिम्मेदार...!
यह बहुत ही शर्मनाक घटना है। मामले में मंडलायुक्त लखनऊ को जांच के आदेश दिए गए हैं।
- गौरी शंकर प्रियदर्शी, ग्राम्य विकास आयुक्त

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