निजीकरण के विरोध में वर्क टू रूल जारी

जबरदस्ती हड़ताल जैसी स्थिति थोपने का आरोप लगाया     

निजीकरण के विरोध में वर्क टू रूल जारी

लखनऊ। संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन के प्रबंधन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बनाने और शांतिपूर्वक आंदोलनरत बिजली कर्मियों पर जबरदस्ती हड़ताल जैसी स्थिति थोपने का आरोप लगाया है। निजीकरण के विरोध में शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का वर्क टू रूल आंदोलन जारी रहा। बिजली कर्मचारियों ने शाम पांच बजे सभी जनपदों और परियोजनाओं पर निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया।

संघर्ष समिति ने कहा कि पता चला है कि आज हुई एनर्जी टास्क फोर्स की मीटिंग में निजी घरानों को मदद पहुंचाने की दृष्टि से ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 में कुछ संशोधन किए गए हैं। समिति ने कहा कि ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 अभी तक पब्लिक डोमेन में नहीं आया है और न ही इस  पर केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने सभी स्टेक होल्डर्स की आपत्ति मांगी है। ऐसे में इस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग  डॉक्यूमेंट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ना पूर्णतया असंवैधानिक है।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और शीर्ष प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि वे निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन कर रहे बिजली कर्मचारियों पर हड़ताल थोपना चाहती है। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को भेजे गए पत्र में शांतिपूर्वक आंदोलन को हड़ताल बताते हुए हड़ताल से निपटने की तैयारी के आदेश दिए हैं। 

चेयरमैन ने इस पत्र में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पर तमाम अनर्गल आरोप लगाए हैं। संघर्ष समिति का कहना है कि चेयरमैन द्वारा जिला अधिकारियों को भेजे गए इस प्रकार के पत्र और कल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अभियंताओं को धमकी भरे अंदाज में संबोधित किया जाना बहुत ही भड़काऊ है और अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति उत्पन्न करने वाला कदम है। 

समिति ने कहा कि चेयरमैन ने इस पत्र में लिखा है कि वर्ष 2025-26 में 56000 करोड़ रुपए का घाटा होने वाला है। जबकि पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग को सौंप गए ए आर आर में वर्ष 2025-26 में 9206 करोड रुपए के घाटे का उल्लेख किया है। इस प्रकार पावर कारपोरेशन के चेयरमैन समस्त जिला अधिकारियों, पुलिस प्रशासन और प्रदेश को गुमराह कर रहे हैं।

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