वायु प्रदूषण को रोकने को वायु मित्र बनें: डॉ सूर्यकान्त
लखनऊ। लंग केयर फाउंडेशन और डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन द्वारा कॉलेज ऑफ नर्सिंग,केके हॉस्पिटल, में वायु प्रदूषण के विरुद्ध जागरूकता के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य नर्सिंग और पैरामेडिकल छात्रों को वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों और उससे संबंधित स्वास्थ्य खतरों के प्रति जागरूक बनाना था।
प्रमुख रूप से डॉ. सूर्य कान्त, अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू तथा नेशनल कोर कमेटी सदस्य, डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन, डॉ. अनीता सिंह, निदेशक, कॉलेज ऑफ नर्सिंग, केके अस्पताल और डॉ. राजीव खुराना, संस्थापक एवं ट्रस्टी, लंग केयर फाउंडेशन ने छात्रों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में 200 से ज़्यादा छात्रो ने भाग लिया।
डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि कैसे वायु प्रदूषण टीबी,निमोनिया,सीओपीडी, और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों को बढ़ाता है। उन्होंने यह भी बताया कि वायु प्रदूषण बच्चों में कुपोषण, बौना विकास,मोटापा के साथ-साथ गर्भावस्था के दौरान भ्रूण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है,जिससे इंट्रायूटेराइन ग्रोथ रिटार्डेशन और नवजात शिशुओं में संक्रमण व जन्मजात बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को सलाह दी कि वे मरीजों से बातचीत के दौरान घरेलू प्रदूषण स्रोतों के बारे में पूछें,जैसे कि लकड़ी और कोयले का उपयोग, अगरबत्ती, धूप, पालतू जानवरों के कारण उत्पन्न कण,और पैसिव स्मोकिंग। उन्होंने पैसिव स्मोकिंग के खतरे को रेखांकित करते हुए कहा कि “ सिगरेट के धुएं का केवल 30 प्रतिशत ही धूम्रपान करने वाला व्यक्ति ग्रहण करता है, जबकि शेष 70 प्रतिशत वातावरण को प्रदूषित करता है और पास बैठे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने सभी को “धुआं और धुएं से बचाव”, पैदल चलना, साइकिल चलाना, जैसी साधारण लेकिन प्रभावी आदतों को अपनाने की सलाह दी, जिससे फेफड़ों को स्वस्थ रखा जा सके।
डॉ. राजीव खुराना ने बताया कि लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाना वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वे उज्जवल योजना का लाभ उठाएं ,सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें,सिंगल यूज़ प्लास्टिक को जलाना बंद करें,और घर में इनडोर पौधों को लगाएं।
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