दिल्ली से श्रीनगर जा रहा था, अगला हिस्सा टूटा, मचा हड़कंप

दिल्ली से श्रीनगर जा रहा था, अगला हिस्सा टूटा, मचा हड़कंप

नई दिल्ली। नई दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की एक उड़ान में बुधवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब खराब मौसम के कारण उड़ान बीच हवा में हिचकोले खाने लगी। हालांकि, पायलट ने सूझबूझ से स्थिति को नियंत्रित किया और श्रीनगर हवाई अड्डे पर सुरक्षित आपात लैंडिंग की। इस उड़ान में 220 से ज्यादा यात्री सवार थे।
 
भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि इंडिगो की उड़ान संख्या 6ई2142 को ओलावृष्टि के कारण टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा। टर्बुलेंस का मतलब हलचल से है। इस स्थिति में उड़ान हिचकोले खाने लगती है और ऐसे में कई बार उड़ान अपनी ऊंचाई से कुछ फीट नीचे भी आ जाती है।
 
उन्होंने बताया कि पायलट ने श्रीनगर एयर ट्रैफिक कंट्रोल को आपात स्थिति की सूचना दी और विमान शाम 6.30 बजे श्रीनगर में सुरक्षित उतर गया। चालक दल के साथ-साथ उड़ान में सवार सभी 227 यात्री सुरक्षित हैं।
 
उधर, एयरलाइन ने विमान को एओजी घोषित कर दिया है। एजीओ यानी एयरक्राफ्ट ऑन ग्राउंड का मतलब ऐसे विमान से है जो तकनीकी समस्याओं के कारण उड़ान भरने में असमर्थ है। डीजीसीए ने जांच के आदेश दिए।

 

इंडिगो ने  बयान जारी करते हुए कहा कि श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E 2142 को रास्ते में अचानक ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा। फ्लाइट और केबिन क्रू ने प्रोटोकॉल का पालन किया। जिसके बाद विमान को सुरक्षित उतारा गया। विमान के आगमन के बाद एयरपोर्ट की टीम ने यात्रियों की देखभाल की। 
 
इंडिगो विमान में सवार शेख समीउल्लाह ने अमर उजाला से फोन पर की बात
इंडिगो विमान में सवार शेख समीउल्लाह (सीईओ फास्टबीटल) ने अमर उजाला को फोन पर बताया कि शुरू में उड़ान में कोई हलचल नहीं थी। जम्मू या पठानकोट के पास पहुंचने तक आसमान साफ था। तभी चालक दल ने आगे रफी पैच की घोषणा की और हमसे अपनी सीटबेल्ट बांधने को कहा। हमारे सीट बेल्ट लगाने के कुछ ही क्षण बाद, विमान अचानक ऊपर की ओर बढ़ा, फिर नीचे गिर गया।
 
आगे कहा कि अगले पांच मिनट तक यह सभी दिशाओं में भयानक रूप से उछलता रहा। ऊपर, नीचे, एक तरफ से दूसरी तरफ- एक रोलरकोस्टर की तरह। एक समय पर, रडार ने दिखाया कि हम 35,000 से 31,000 फीट नीचे गिर गए थे। यह भयानक मंजर था, ऐसा लगा बस आज आखिरी समय आ गया।
 
आगे बातचीत में कहा कि सब दुआएं पढ़ने लगे। मैंने अक्सर विमान में सफर करता हूं। लेकिन मुझे कभी भी ऐसी टर्बुलेंस का सामना नहीं करना पड़ा। जब हम आखिरकार उतरे और विमान के आगे के हिस्से को क्षतिग्रस्त देखा तो सदमा और गहरा गया। यह एक भयावह अनुभव था। जिसे हम कभी नहीं भूलेंगे। उतरने पर हमें अंदर ले जाया गया। नीचे एम्बुलेंस और आपातकालीन सेवाएं तैयार थी।

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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