तो क्या आसिम मुनीर की चाल में फंस गए शहबाज?
इस्लामाबाद : पाकिस्तान में फील्ड मार्शल बनने का मतलब है क़ानून से ऊपर होना यानी फील्ड मार्शल पर पाकिस्तान की किसी अदालत में मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता। तो अब आसिम मुनीर अब कुछ भी करें उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा नहीं चलेगा। वो पाकिस्तान के क़ानून से ऊपर हो गए हैं। पाकिस्तान के 78 साल के इतिहास में फील्ड मार्शल बनने वाले आसिम मुनीर दूसरे शख़्स हैं। इससे पहले 1959 में सरकार का तख़्तापलट करके सत्ता हथियाने वाले अयूब ख़ान ने ख़ुद को फील्ड मार्शल की रैंक दे दी थी। हालांकि सेना के जनरल आसिम मुनीर ने भी खुद को फील्ड मार्शल बनाया है, हालांकि बस फर्क इतना है कि उन्होंने इस फैसले पर मुहर सरकार से लगवाई और इसका एलान वज़ीर-ए-आज़म शहबाज़ शरीफ़ से करवाया।
फील्ड मार्शल का जो पद है, याद रहे ये ताउम्र होता है। अगर कोई अपनी मर्जी से खुद को अलग कर ले तो उसकी अपनी मर्जी है, लेकिन कोई उसको हटा नहीं सकता है। जो सबसे इंपॉर्टेंट बात है वो ये कि उसको कोई पद से हटा नहीं सकता। जैसे आर्मी चीफ़ को पीएम तो हटा सकते हैं, ये ऑप्शन संविधान में है लेकिन किसी फील्ड मार्शल को कोई हटा नहीं सकता है, ये पद उसके पास ताउम्र रहता है।
वर्दी पर लगवा लिया फाइव स्टार
जनरल आसिम मुनीर इससे पहले आर्मी चीफ थे जो फोर स्टार जनरल होते हैं लेकिन फील्ड मार्शल की रैंक फाइव स्टार की होती है। युद्ध में असाधारण बहादुरी दिखाने वाले अफसर को फील्ड मार्शल की रैंक दी जाती है लेकिन, पाकिस्तान में कुछ भी हो सकता है। आर्मी चीफ की जो मर्ज़ी होती है वो करते हैं इसलिए ऑपरेशन सिंदूर में बुरी तरह पिटने के बाद भी बड़ी बेशर्मी ने जनरल आसिम मुनीर ने अपनी वर्दी पर एक स्टार और लगवा लिया है।
खुद का प्रमोशन करवाया मुनीर ने
आसिम मुनीर ने पिछले दस दिन में पाकिस्तान में ये झूठा प्रचार करवाया कि उन्होंने भारत के ऑपरेशन सिंदूर को नाकाम कर दिया। भारत को बहुत नुकसान पहुंचाया और फिर अपने पपेट प्राइम मिनिस्टर शहबाज़ शरीफ़ से फील्ड मार्शल की ये देश की सबसे बड़ी रैंक ले ली, लेकिन हकीकत सब समझ रहे हैं। पाकिस्तान के लोग कह रहे हैं कि तानाशाह मुनीर ने ख़ुद अपना प्रमोशन किया है इसलिए आसिम मुनीर के फील्ड मार्शल बनने की कोई वैल्यू नहीं है।
आर्मी प्रमुख का पद भी नहीं छोड़ेंगे मुनीर
पाकिस्तान के पत्रकार वक़ार मलिक ने बताया, अब सवाल ये है कि फील्ड मार्शल बनने के बाद क्या आसिम मुनीर आर्मी चीफ का पद छोड़ देंगे। पाकिस्तान के लोगों का मानना है कि आसिम मुनीर आर्मी चीफ भी बने रहेंगे। क्योंकि असली ताक़त तो जनरल के पास होती है। फील्ड मार्शल तो सिर्फ ऑनररी रैंक है और इसीलिए आसिम मुनीर आर्मी चीफ की पावर अपने हाथ में रखेंगे और उन्हें आर्मी चीफ के तौर पर दो साल की एक्सटेंशन मिलना भी तय है। वैसे पाकिस्तान में आर्मी चीफ का कार्यकाल तीन साल का होता था लेकिन, पिछले साल शहबाज़ शरीफ ने क़ानून में बदलाव किया और आर्मी चीफ का कार्यकाल तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया।
आसिफ मुनीर को बादशाह घोषित कर देते
आर्मी चीफ के तौर पर आसिम मुनीर का कार्यकाल 29 नवंबर को ख़त्म होने वाला है लेकिन ये तय है कि मुनीर को एक्सटेंशन मिलेगा..और वो 2027 तक पाकिस्तानी फ़ौज के चीफ बने रहेंगे। आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने पर इमरान ख़ान की पार्टी के नेताओं ने ज़बरदस्त नाराजगी जाहिर की है। इमरान की बहन अलीमा ख़ान ने कहा कि, शहबाज़ शरीफ़ को, आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाने के बजाय, पाकिस्तान का बादशाह घोषित करना चाहिए था।
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