रोडवेज मुख्यालय पर दीपावली में ‘दीपक तले अंधेरा’!

रोडवेज मुख्यालय पर दीपावली में ‘दीपक तले अंधेरा’!

-कार सेक्शन कर्मियों के डीए एरियर भुगतान की राशि दीपावली बाद पहुंचनी शुरू हुई -सभी रोडवेज कर्मियों को त्यौहार से पूर्व मिला 10 फीसद एरियर भुगतान -सूत्रों की मानें तो एकाउंट सेक्शन ने देर से लगाई कार सेक्शन कर्मियों की एरियर चेक -परिवहन मंत्री, चेयरमैन, प्रमुख सचिव, एमडी तक के चालक भी कार सेक्शन से ही हैं आते -मुख्यालय पर वीआईपी सेक्शन माना जाता है कार सेक्शन, करीब 100 लोग हैं, 70 चालक

लखनऊ। यूपी रोडवेज मुख्यालय पर रौशनी के पर्व यानी दीपावली के मौके पर एक तरह से दीपक तले अंधेरा वाली कहावत कहीं न कहीं चरितार्थ होती दिखायी दी। जानकारी के तहत एक तरफ जहां यूपी रोडवेज में विभिन्न पदों पर कार्यरत सभी अधिकारियों व कर्मियों को शासन के आदेश पर दीपावली के पहले ही 10 फीसद मिलने महंगाई भत्ते की एरियर राशि उनके खातों में पहुंच गई, जबकि दूसरी ओर मुख्यालय परिसर में ही स्थित कार सेक्शन के 100 से अधिक कर्मियों की एरियर राशि निगम मुख्यालय के एकाउंट सेक्शन से जुडेÞ बाबुओं के लेटलतीफी की भेंट चढ़Þ गई। मुख्यालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो दरअसल, कार सेक्शन कर्मियों के लिये जो एरियर राशि की चेक एकाउंट विंग द्वारा बैंक में लगाई, उसमें हीलाहवाली कर दी गई, ऐसे में सही समय पर चेक नहीं लगाये जाने की वजह से कार सेक्शन कर्मियों के खातों में दीपावली से पूर्व एरियर राशि नहीं आ पायी और उनका रौशनी का पर्व ऐसे ही अंधेरा में बीता। बता दें कि वैसे भी निगम मुख्यालय पर कार सेक्शन को लेकर एक जगजाहिर मान्यता यही रहती है कि इस सेक्शन का काम कभी भी नहीं रुकता क्योंकि इसमें 60 से लेकर 70 चालकों का दल है जोकि परिवहन मंत्री से लेकर चेयरमैन, प्रमुख सचिव, एमडी, एएमडी और मुख्यालय के आला अफसरों के सरकारी वाहनों की ड्राइविंग सीट की कमान संभालते हैं। ऐसे में ये चालक सीधे तौर पर उपरोक्त आला प्रशासन के संपर्क में रहते हैं, मगर इस बार मुख्यालय पर कहीं न कहीं एकाउंट सेक्शन से जुडेÞ संबंधित बाबुओं की बेपरवाही ही कहेंगे कि यदि उन्होंने समय रहते कार सेक्शन कर्मियों के डीए एरियर राशि का चेक बैंक में लगा दिया होता तो इन लोगों को भी दीपावली से पूर्व अतिरिक्त राशि का बोनस मिल जाता और वो मुस्कुराते हुए अपने परिजनों के साथ उजाले का त्यौहार मनाते। हालांकि मंगलवार को देर शाम खबर लिखे जाने तक यह भी खबर उड़ते-उड़ते आई कि अब जाकर जैसे-जैसे चेक क्लीयरेंस होता जा रहा, वैसे-वैसे कार सेक्शन कर्मियों के खाते में एरियर राशि आती जा रही। वहीं इस सेक्शन के ही कुछ चालकों का दबे जुबां यही कहना रहा कि भाई जी, अब तो यही लगता है कि मुख्यालय पर कार्यरत बाबुओं की दादागिरी से कोई भी बच नहीं सकता है, कहने को हम चालक लोग परिवहन निगम के आला लोगों के साथ चलते हैं। वैसे बता दें कि अभी कुछ ही दिन पूर्व रोडवेज कैंटीन टेंडरिंग प्रक्रिया में कुछ वित्तीय हीलाहवाली को लेकर निगम प्रबंधन ने मुख्यालय पर ही कार्यरत एकाउंट विंग के एक कर्मचारी को निलंबित भी किया है।

Tags: Road ways

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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