इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डा काउंट सीजर मैटी की मनाई गई जयंती

इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डा काउंट सीजर मैटी की मनाई गई जयंती

धमतरी।धमतरी में इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता डा काउंट सीजर मैटी की 215 वीं मैटी जयंती 11 जनवरी को मनाई गई। इस दौरान उनके द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में दिए गए योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। आलोक इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा केंद्र बस्तर रोड, धमतरी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा आलोक सिन्हा ने बताया कि डा काउंट सीजर मैटी जी का जन्म 11 जनवरी सन 1809 को ईटली देश के बोलोग्ना नामक शहर में हुआ था। डा मैटी ने इस पद्धति का अविष्कार सन 1865 में पीड़ित मानव की सेवा के उद्देश्य से किया था। इलेक्ट्रोहोम्योपैथी दुनिया की पांचवीं नवीनतम चिकित्सा पद्धति है यह हर्बल एवं हानिरहित चिकित्सा पद्धति है। इसमें औषधि, पेड़ - पौधों में पाई जाने वाली विद्युतीय शक्ति को कोहोबेसन विधि से निकालकर औषधियों के रूप में समाहित किया जाता है। इसमें मात्र 114 पौधों से केवल 38 प्रकार की औषधियां तैयार की जाती है, जिससे मानव शरीर पर होने वाली किसी भी प्रकार के रोगों को जड़ मूल से ठीक किया जा सकता है। इलेक्ट्रोहोम्योपैथी डाक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, धमतरी के सदस्य डीआर सिन्हा ने बताया किइस चिकित्सा पद्धति में सभी प्रकार के साध्य व असाध्य रोगों का निवारण किया जाना संभव है। इलेक्ट्रोहोम्योपैथी के चिकित्सक पूरे भारतवर्ष में इस चिकित्सा पद्धति के माध्यम से ग्रामीण एवं सुदूर अंचल पर भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस अवसर पर अन्य चिकित्सक व अन्य लोग मौजूद थे।

 

Tags:

About The Author

अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें

टिप्पणियां

Latest News

बस्ती मे ड्रीम 11 से राकेश राना बने करोड़ पति बस्ती मे ड्रीम 11 से राकेश राना बने करोड़ पति
बस्ती - जिले में कप्तानगंज थाना क्षेत्र के परसपुरा गांव निवासी राकेश राना ने ड्रीम 11 से एक करोड़ रूपये...
एकजुट के दो दिवसीय प्रान्तीय अधिवेशन की तैयारियां पूरी,कल से होगा हजारों शिक्षकों का जमावड़ा
लोहे के वॉल को चुराने वाले 4 नफर चोर गिरफ्तार,सामान बरामद
एनसीसी कैंप में 500 से ज्यादा कैडेट्स को सिखाये योग के गुर
जरूरतमंदों के लिये वरदान हैं निःशुल्क चिकित्सा शिविर - डा. वी.के. वर्मा
उपेक्षा का शिकार है पुलिस कल्याण बाल उद्यानः अब नहीं गूंजती पुलिस कर्मियों के बच्चों की किलकारियां
खेल जीवन का महत्वपूर्ण अंग - धीरेन्द्र त्रिपाठी