बिहार: कोसी-गंडक और बागमती खतरे के निशान से ऊपर

बिहार: कोसी-गंडक और बागमती खतरे के निशान से ऊपर

पटना: पिछले कई दिनों से गंगा नदी पटना में खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी. गंगा नदी गांधी घाट और हाथीदह में खतरे के निशान से ऊपर है. वहीं उत्तर बिहार में कोसी, गंडक और बागमती सहित कई नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. हालांकि मानसून सुस्त होने के कारण गंगा और अन्य नदियों के जलस्तर में कमी आ रही है.

पटना में गंगा का जलस्तर घटा
केंद्रीय जल आयोग और बिहार जल संसाधन विभाग के अनुसार गंगा नदी का जलस्तर गांधी घाट में गंगा का डेंजर लेवल 48.60 मीटर है लेकिन अभी जलस्तर 48. 72 मीटर पर है और स्थिर बना हुआ है. वहीं हाथीदह में गंगा का डेंजर लेवल 41.72 मीटर है और अभी जलस्तर 42.11 मीटर पर बना हुआ है, जबकि पुनपुन नदी का जलस्तर भी पटना के श्रीपालपुर में खतरे के निशान से नीचे चला गया है. गंगा नदी भी पटना के दीघा घाट में खतरे के निशान से नीचे चली गई है और अभी जलस्तर में घटना के संकेत मिल रहे हैं.

कोसी-गंडक और बागमती का जलस्तर?
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंडक नदी गोपालगंज जिले के डुमरिया घाट में तो बूढ़ी गंडक खगड़िया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. बागमती नदी मुजफ्फरपुर के रुन्नीसैदपुर में और बेनीबाद में अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है. कोसी नदी खगड़िया के बलतारा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.

मानसून सुस्त पड़ने से जलस्तर पर असर
पिछले कई दिनों से मानसून की सक्रियता में कमी आयी है. साथ ही सोन नदी में मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश से पानी का आना काफी कम गया है और इस सब का असर गंगा, पुनपुन और अन्य नदियों पर दिखने लगा है लेकिन अभी भी निचले इलाकों में और दियारा इलाके में लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई है. जल संसाधन विभाग के अनुसार सभी तटबंध अभी सुरक्षित है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है.

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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