अरवल में 250 करोड़ रुपये का अवैध बालू स्टॉक मामले में डीएम ने दिया जांच का आदेश गठित किया टीम
26 बालू स्टॉकों पर चलान से अत्यधिक रखा है बालू किसी स्टॉक पर नहीं लगा है सीसीटीवी तो कैसे कटा चलान
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अरवल का 80% चलान का बिक्री पटना जिले के नाम , अरवल ने 60 % चलान रोहतास जिला से किया खरीद
बालू स्टॉक के लिए जीपीएस को किया गया फेल , एनआईसी की भूमिका संदिग्ध
पटना ( अ सं ) । तरूण मित्र में प्रकाशित खबर “ सिस्टम को नहीं दिख रहा अरवल में 250 करोड़ का अवैध बालू स्टॉक , बालू माफियाओं का पार्टनर तो नहीं है सिस्टम? “ को राज्य खनन मुख्यालय के साथ ही अरवल जिला पदाधिकारी कुमार गौरव ने मामले को गंभीरता से लिया है । डीएम कुमार गौरव ने टीम गठित कर जांच का आदेश दिया है । इसके बाद बालू माफियाओं का हाथ - पैर फूलने लगा है । बालू माफियाओं को संरक्षण देनेवाले जिला खनन पदाधिकारी नवनेन्दू सिंह को अरवल से ट्रांसफर कर दिया गया है । हालाँकि बहुत सारे खनन पदाधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है ।
अरवल जिला में 26 बालू स्टॉकों पर पर निर्धारित चलान से अत्यधिक मात्रा में बालू रखा हुआ है और बिक्री किया जा रहा है । हैरान करने वाली बात यह है की किसी भी मध्यम और बड़े बालू स्टॉक पर सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है और न ही सेंट्रल कमांड से टैग है । जबकि लाइसेंस आवेदन में ही स्पष्ट लिखा हुआ है की बालू बिक्री के लिए सीसीटीवी अनिवार्य रूप से लगाया है । पटना जिला में सीसीटीवी किसी बालू स्टॉक पर नहीं लगा है तो बालू का चलान एवं बिक्री बंद है फिर अरवल में बिना सीसीटीवी कैमरा के स्टॉक का बालू कैसे बेचा जा रहा है । क्या खनन नियमावली दोनों जिला के अलग - अलग है ।
अरवल जिला में पर्याप्त बालू का भंडार था । अरवल जिला का 80 % चलान बिक्री पटना जिला के नाम हुआ है । वहीं अरवल जिला का 60-70%. चलान रोहतास व अन्य जिले से खरीद की गई है और यह सब हुआ है जीपीएस फेल करके । स्टॉक करने में लगे 65-75 % बालू वाहनों का जीपीएस फेल रहा है । फिर एनआईसी क्या कर रही थी । इससे स्पष्ट होता है बालू के अवैध कारोबार में एनआईसी की भूमिका संदिग्ध ही नहीं बल्कि शामिल है । इस तरह एनआईसी बालू माफियाओं को लाभ पहुँचाने के साथ - साथ सीक्रेट फाइल भी लीक ज़रूर कर रहीं होगी । ज़िलाधिकारी अरवल और राज्य खनन मुख्यालय को अरवल बालू स्टॉक की बिक्री और चलान अविलंब बंद करने की ज़रूरत है जबतक की सभी बालू स्टॉक जांच नहीं हो जाती है । इधर एक और सूचना प्राप्त हुई है की सोहसा गाँव के समीप सोन नदी के किनारे 5 हज़ार हाइवा बिना लाइसेंस और बिना चलान के रखा हुआ है । जबकी सोहसा स्थित बालू घाट बीते एक साल पहले ही सरेंडर हो चुका है ।
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