सभासदों ने लगाए अधिशासी अधिकारी पर गंभीर आरोप
-बोर्ड बैठक में पच्चीस में से तेइस सभासद हुए शामिल
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शामली-नगर पालिका परिषद में पालिकाध्यक्ष के द्वारा आहुत बोर्ड बैठक में पालिकाध्यक्ष को 25 में से 23 सभासदों का साथ मिला तथा सभी ने सर्वसम्मिति से अधिशासी अधिकारी के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके नगर पालिका में पद पर रहते हुए सबूतों के साथ छेडछाड करने का आंशका जताते हुए उन्हें पद मुक्त कर उनके स्थान पर अन्य अधिशासी अधिकारी की नियुक्त की मांग की गई। वृहस्पितवार को नगर पालिका कार्यालय में हुई बोर्ड बैठक में पालिका में लिपिक अकरम अंसारी के द्वारा ठेकेदार कपिल कुमार से ली गई 50 हजार रूपए की रिश्वत के बाद लिपिक अकरम अंसारी व अधिशासी अधिकारी सुरेश कुमार के खिलाफ अभियाग पंजीकृत होने के बाद से अधिशासी अधिकारी पालिका कार्यालय नही आ रहे है।
अधिशासी अधिकारी की उपरोक्त गतिविधियों से आम जनता में पालिका की छवि धूमिल हुई है। बैठक में अधिशासी अधिकारी के पालिका में रहते हुए पत्रावलियों के साथ छेडछाड कर सबूत मिटाकर जांच को प्रभावित करने की आंशका जताई गई है। इसके अतिरिक्त भी उन पर पालिकाध्यक्ष व सभासदों ने विभिन्न गंभीर आरोप लगाए है। आरोप है कि नगर में चार फ्रिज विभिन्न वार्डों में लगाए गए थे। जिस पर पांच किलोवाट की सोलर प्लेट लगनी थी, लेकिन अधिशासी अधिकारी ने साठ गांठ करके 3.9 किलोवाट की सोलर प्लेट लगवाकर पैसे का बंदरबाट कर लिया। हंगामा होने के बाद एक फ्रिज की सोलर प्लेट ठीक कराई गई।
जिसकी तीन ज्यो के त्यो पडे है तथा उनको वि़द्युत कनेक्शन से चलाना पड रहा है। आरोप है कि अधिशासी अधिकारी ने ठेकेदार के साथ सांठ गांठ करके जमानत के रूप में जमा होने वाली फर्जी एफ डी लगवा दी थी, जिसका भुगतान पूर्व में लिया जा चुका है। ठेकेदार के द्वारा अधिशासी अधिकारी सुरेश कुमार के साथ सांठ गांठ करके फर्जी तरीके से तैयार की गई एफ डी को प्रतिभूति के रूप में लोड कराया गया। कुछ ठेकेदारों की निविदा इस आधार पर निरस्त की गई की एफडीआर बंधक नही है। बाद में राज खुलने पर ठेके को निरस्त करना पडा था। इस से नगर का विकास बाधित हुआ।
अधिशासी अधिकारी द्वारा आम जनता में पालिका अध्यक्ष व सभासदों की छवि को खराब करने क लिए मनमानें तरीके से अवैध रूप से नगर पालिका
अधिनियम 1916 की धारा 131 ये 135 तक दिए गए समस्त प्राविधानों का उल्लघंन कर बिना कोई वैधानिक प्रक्रिया अपनाएं बिना बोर्ड के संज्ञान में लाए
शासनादेश का हवाला देते हुए अनुज्ञप्ति शुल्क मनमाने तरीके से जबरन वसूल करने के नोटिस पालिका की कर अधीक्षक श्रीमति शीतल गुप्ता से जारी करा दिए गए। जो बिल्कुल अवैध है जिस कार्य के लिए पूर्व में 200 रूपए वार्षिक कर निर्धारित था। उसको मनमाने तरीके से बढाकर चार हजार रूपए कर अवैध रूप से वसूली की छूट दी गई।
गत वित्तीय वर्ष में अगामी वित्तीय वर्ष की एडंवास रसीद 2022-23 के साथ विलम्ब शुल्क लेने का कोई औचित्य नही है। नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 147 में नामांत्रण का अधिकार बोर्ड का है परन्तु अधिशासी अधिकारी ने जानबूझ कर बोर्ड के अधिकारों का हनन कर समाचार पत्रों में प्रकाशन कराकर आपत्तियां आमंत्रित करने के बजाए कर अधीक्षक से सांठ गांठ कर गुपचुप तरीके से नोटिस दर्शाकर अपने स्तर से नामांत्रण की कार्यवाही की गई।
उपरोक्त परिस्थ्तििययों में पालिका एवं जनहित में सर्वसम्म्तिि सेे अधिशासी अधिकारी सुरेश कुमार को नगर पालिका अधिनियम 1916 कर धारा 58 में दी गई व्यवस्था के अनुरूप उनके फरार होने के कारण पालिका से एक पक्षीय रूप से कार्य मुक्त कर अधिकारियों को सूचित कराया जाए। साथ ही शासन से यह भी अनुरोध किया जाएं कि सुरेश कुमार के स्थान पर किसी अन्य अधिशासी अधिकारी की शीघ्र नियुक्ति की जाएं ताकि पालिका का कार्य बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से चल सकें। इस सम्बन्ध में सभी सभासदों ने पत्राचार हेतु पालिकाध्क्ष नजमुल इस्लाम को नियुक्त किया। पालिका बोर्ड बैठक में 08 वार्ड सभासदों के पति सहित कुल 23 वार्डों से सभासद व उनके पति मौजूद रहे।
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