मुगलों के घरों में नहीं कोई दीया जलाने वाला

मुगलों के घरों में नहीं कोई दीया जलाने वाला

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि देश-धर्म की रक्षा के लिए हंसते हुए प्राणों की आहुति देने वाले गुरु गोविंद सिंह के वीर साहिबजादों की स्मृति में प्रदेश में असाधारण वीरता का परिचय देने वाले बच्चों को भी वीर बाल दिवस पर जिला, मंडल व राज्य स्तर पर चिह्नित कर सम्मानित किया जाना चाहिए।

अपने परिश्रम से आगे बढ़े सिख
गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान की स्मृति में मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित वीर बाल दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि दुनिया में जहां कहीं भी सिख हैं, गुरु कृपा से वे अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से आगे बढ़ रहे हैं।

वहीं, मुगल सल्तनत के हुक्मरानों के घरों में कोई दीपक जलाने वाला नहीं है। उनकी वंश परंपरा समाप्त हो गई क्योंकि उन्होंने बर्बरता और अत्याचार किए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख गुरुओं का बलिदान व्यक्तिगत हित या परिवार के लिए नहीं बल्कि देश और धर्म के लिए था।

भक्ति में रमे गुरु नानक ने उस कालखंड में मुगल बादशाह बाबर को चुनौती दी थी। गुरु अर्जन देव ने जहांगीर के अत्याचारों का डटकर मुकाबला किया तो कश्मीरी पंडितों पर होने वाले वाले अत्याचारों के खिलाफ गुरु तेग बहादुर ने स्वयं को बलिदान कर दिया।

सीएम बोले- सिख गुरुओं ने हमें परिश्रम करना सिखाया
दुनिया में हमें ऐसा अद्भुत इतिहास कहीं नहीं देखने को मिलता है कि एक बलिदानी पिता के पुत्र गुरु गोविंद सिंह ने अपने चार पुत्रों को भी देश और धर्म के लिए बलिदान कर दिया। सिख गुरुओं ने हमें परिश्रम और पुरुषार्थ करना सिखाया।

देश और धर्म के लिए आत्म बलिदान से न हिचकने और विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित न होने की प्रेरणा दी है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मानवता के कल्याण के लिए नई परंपराएं शुरू कीं। प्रत्येक शिष्य सिख है क्योंकि वह गुरु परंपरा का निर्वहन करता है।

नई शिक्षा नीति में विसंगतियां हो रही दूर
गुरु परंपरा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना, उसका सम्मान करना और सिख गुरुओं के बलिदान के इतिहास को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य होना चाहिए। कार्यक्रम में पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि इतिहासकारों ने इन वीरगाथाओं को छिपाए रखा। नई शिक्षा नीति इन विसंगतियों को दूर कर रही है।

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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