सिस्टम को नहीं दिख रहा अरवल में 250 करोड़ का अवैध बालू स्टॉक, बालू माफियाओं का पार्टनर तो नहीं हैं सिस्टम?

नीचे से ऊपर तक बंटता है अवैध बालू कारोबार का रूपया, 50 हज़ार से 5 लाख प्रति घाट से प्रति माह है फिक्स, प्रति स्टॉक 1 लाख

टेक्नोलॉजी को फेल कर टेक्निकल तौर पर किया जा रहा भ्रष्टाचार का खेल , एनआईसी की भूमिका संदिग्ध

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अरवल जिला खनन पदाधिकारी नवनेन्दू सिंह पर खनन विभाग मेहरबान, दो जिलों का कार्यभार पत्नी भी है साथ , मची है पुरी लूट 
 
रवीश कुमार मणि 
 
पटना ( अ सं ) । सूबे का तीसरा छोटा जिला अरवल कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा था वर्तमान में अरवल जिला बालू माफियाओं का गढ़ बन गया है । बिहार में सबसे अधिक अवैध बालू का भंडारण अरवल जिला है । अरवल जिला वासियों का आरोप है की नीचे से लेकर ऊपर तक पुरी सिस्टम बालू माफियाओं का पार्टनर है तभी तो जिले में 250 करोड़ से अधिक का अवैध बालू भंडारण किसी को नहीं दिख रहा है और मजे से अवैध बालू का कारोबार चल रहा है । कार्रवाई का कोई डर किसी बालू माफिया में नहीं है और 56 इंच का सीना चौड़ा कर गर्व से बोलते है सरकार किसी की हो चलेगी बालू माफियाओं का । विभाग में ट्रांसफर- पोस्टिंग भी बालू माफियाओं के इशारे पर होता है तभी तो अरवल के जिला खनन पदाधिकारी नवेन्दू सिंह की पत्नी रिचा सिंह खनन निरीक्षक के रूप में अरवल जिला में पदस्थापित है । 
             अरवल जिला में अवैध बालू भंडारण का हाल और जिला खनन पदाधिकारी नवेन्दू सिंह का कारनामा सोशल  मीडिया पर सबूतों के साथ  वायरल होने लगा है , कई जांच एजेंसियों से लेकर वरीय अधिकारियों तक पहुंच गयी है । इसमें प्राइवेट दलाल सोनू की भी चर्चा है और उसका मोबाइल नंबर भी जांच के लिए दिया गया है । ड्रोन सर्वे के नाम पर जिला खनन द्वारा प्रति स्टॉक 50  हज़ार रूपया लिया गया है । तकनीकी रूप से लगाएं गये आरोप में बताया गया है की बालू चालान से अत्यधिक भारी मात्रा में स्टॉक किया गया है कहीं- कहीं तो बिना चालान के हजारों हाइवा बालू अवैध स्टॉक है । क्रमशः1. मनीष कुमार चालान 1237 हाइवा का है वही स्टॉक पर 4000 हाइवा है ।पुनः 2. मनीष कुमार का दूसरा स्टॉक पर चालान ज़ीरो है वहीं अवैध पूर्वक 2000 हाइवा बालू रखा गया है । 3.  अंकिता कंस्ट्रक्शन चालान 1179 हाइवा का है रखे हुए है 2200 हाइवा , 4.  पुनः अंकिता कंस्ट्रक्शन ने 1180 हाइवा के जगह 2000 हाइवा बालू रखा गया है । बालू स्टॉक का चालान रोहतास से निर्गत है । 5. एवस्टेएगो विडकान का चालान 72 हाइवा का है 1000 हाइवा बालू रखा गया है । 6. अरूण कुमार चलान 2 हाइवा रखे हुए है 1000 हाइवा 7. बाबा हरिहर नाथ चालान 0 है , 100 हाइवा बालू रखा है । 8. बीआईटी इंक्राटेक चलान 483 हाइवा का है और बालू 1000 हाइवा रखे हुए है ।9. बुद्धा उत्तम चालान 487 हाइवा का है 1200 हाइवा बालू रखा गया है । 10.  पुनः बुद्धा उत्तम चलान 1304 हाइवा के जगह 2000 हाइवा बालू रखा है । 11. पुनः बुद्धा उत्तम के पास 78 हाइवा बालू का चलान है वहीं 1000 हाइवा बालू रखा है । इनका सभी चलान दूसरे जिले का है । 12. गुरुदेव कंस्ट्रक्शन का चलान 1247 हाइवा है , रखा गया है 2000 हाइवा । इनका अधिकांश चलान पुनपुन से निर्गत है । 13. पुनः गुरुदेव कंस्ट्रक्शन का चलान 35  हाइवा है वहीं 1000 हाइवा बालू रखा गया है । 14. कान्हा जी का चलान 0  है , 500 हाइवा बालू रखा हुआ है । 15. मा वैष्णवी का चलान 1621  हाइवा है , 3000 हाइवा बालू रखा हुआ हैं । 16. अनंत मुद्रिका 1207  हाइवा है 2500 हाइवा बालू रखा हुआ है ।17 . सिद्धी इंटर प्राइजेज चलान 1178 हाइवा है 2000 हाइवा बालू रखा हुआ है । पुनः 18 सिद्धी इंटरप्राइजेज 1178  हाइवा, 2000 हाइवा बालू रखा हुआ है । अधिकांश चलान रोहतास जिला से निर्गत है । 19. पप्पू कुमार के पास चलान 313 हाइवा है वही 3000 हाइवा बालू रखा हुआ है ।20. पिंटू के पास चलान 1172  हाइवा का है और बालू 5000 हाइवा रखे हुए है । अधिकांश चलान रोहतास से निर्गत है । 21. सुनिल कुमार का चलान 55 हाइवा का है वहीं 1000 हाइवा बालू रखा हुआ है । 22. संजय कुमार चौधरी का चलान 1023 हाइवा है , रखा हुआ है 4000 हाइवा । 23. सागर इंटरप्राइजेज चलान 70 हाइवा है इसके जगह 500 हाइवा बालू रखा हुआ है । चलान पुनपुन से निर्गत है । 24. राकेश कुमार का चलान 1320 हाइवा है इसके जगह 5000 हाइवा बालू रखा हुआ है । 25. पुनः राकेश कुमार का चलान 1411 हाइवा का है वही 4000 हाइवा बालू रखा हुआ है । 26.  पिंटू कुमार का चलान 1209  हाइवा है वहीं 5000 हाइवा बालू रखा हुआ है । अधिकांशतः चलान रोहतास जिला का है ।  अरवल जिला में 38 स्टॉक लाइसेंस निर्गत है और स्थिति कुछ इसी तरह है । चलान से अधिक बालू को जब्त करने के बजाय अरवल जिला खनन पदाधिकारी खुलेआम अवैध रूप से बिक्री करा रहे है । बालू माफिया डरे क्यों सरकार और सिस्टम दोनों लूट में साथ दें रहें है । विपक्ष को भी सवाल उठाने की हिम्मत नहीं है चुकी पहले वह भी मलाई खा चुके है । 
 
नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार, लाखों- करोड़ों का होता है बंदरबांट 
 
सरकार किसी की हो बिहार में चलता है बालू माफियाओं का । पुरी सिस्टम बालू माफियाओं का ग़ुलाम होता है ।अख़बार में ख़बरें सुर्ख़ियां बनती हैं तो ख़ानापूर्ति के लिए बयान और दिखावटी कार्रवाई होती है । प्रति माह प्रत्येक बालू घाट से फ़िक्स है । थाना - 1 लाख , अंचल निरीक्षक- 25 हज़ार, सीओ - 25 हज़ार, डीएसपी- 50 हज़ार से एक लाख , एसडीओ- 50 हज़ार, ज़िला खनन पदाधिकारी- 1.5- 2.0 लाख , एसपी - 1  लाख ( पटना जिला छोड़कर ) , ज़िलाधिकारी के नाम पर 1  लाख , जिला खनन पदाधिकारी द्वारा लिया जाता है । इसका ख़ुलासा किसी भी बालू माफिया के मोबाइल से भेजे गये वाट्सअप मैसेज में स्पष्ट रूप से कोडिंग कर लिखा जाता है और सिंडिकेट को प्रतिमाह वाट्सअप मैसेज भेजा जाता है । वहीं जब बालू खनन बंद हो जाता है तो स्टॉक के बालू बिक्री में नज़राना के रूप में भ्रष्टाचार रूपी राशि आधी हो जाती है । परंतु यह सिलसिला कभी बंद नहीं होता । ऐसा नहीं है जिला खनन पदाधिकारी सारे डकार जाते है वह भी ऊपर तक पहुंचाते है तभी उनकी खैर रहती है । 
 
टेक्नोलॉजी को फेल कर किया जा रहा खेल , एनआईसी की भूमिका संदिग्ध 
 
समाज और अख़बार को यह बताया जाता है की बालू माफियाओं के खिलाफ सरकार कार्रवाई के लिए कटिबद्ध है । लेकिन हकीकत किसी से छुपी हुई नहीं है । बालू के कारोबार में लगे गाड़ियों की कोडिंग किया गया । जीपीएस और धर्मकांटा के साथ सीसीटीवी कैमरा लगाने को अनिवार्य किया गया । दो बालू स्टॉक किया गया है उसका 80 % गाड़ी का जीपीएस फेल रहा है । धर्मकांटा पर सीसीटीवी लगा लेकिन बालू स्टॉक पर सीसीटीवी नहीं लगा । चलान तभी कटेगा जब बालू गाड़ी का जीपीएस एक्टिव रहेगा । रोहतास से अरवल बालू का चलान है , गाड़ी भी तो रोहतास से अरवल आनी चाहिए लेकिन जीपीएस फेल , सीसीटीवी में कोई फुटेज नही । अरवल से पटना जिला का 80%  चलान बालू स्टॉक का है । बालू गाड़ी भी पटना स्थित बिक्रम आनी चाहिए लेकिन रास्ते में जीपीएस फेल दिखा दिया जा रहा है और सीसीटीवी कैमरा में गाड़ी नहीं दिख रहा है । जब 80% बालू गाड़ियों का जीपीएस फेल हुआ तों एनआईसी ने रिपोर्ट किया क्या , ऐसा नहीं किया बल्कि एनआईसी ने टेक्नोलॉजी फेल कर टेक्निक रूप से भ्रष्टाचार का खेल बालू माफियाओं को लाभ पहुँचाने के लिए खेला है । एनआईसी की भूमिका पूर्ण रूप से संदिग्ध है । 
 
अरवल जिला खनन पदाधिकारी नवेन्दु सिंह की पत्नी हैं अरवल जिला में खनन निरीक्षक 
 
अरवल जिला खनन पदाधिकारी नवेन्दु सिंह को जहानाबाद का भी प्रभार है । कुछ दिन पहले तक औरंगाबाद के भी प्रभार में थे । खनन मुख्यालय इनके ऊपर मेहरबान है भले ही अरवल जिले में बालू लूट मची हुई है । अरवल जिला खनन पदाधिकारी नवेन्दु सिंह की पत्नी भी अरवल जिला में खनन निरीक्षक के पद पर पदस्थापित है । सरकार के ट्रांसफर नीति में स्पष्ट है की एक जिले में एक ही विभाग में पति - पत्नी नहीं रह सकते है । जांच, कार्रवाई, रिपोर्ट सब जिला खनन पदाधिकारी नवेन्दु सिंह तय करते है । तभी तो अरवल जिले में अवैध बालू खनन एवं अवैध बालू कारोबार के हजारों शिकायतों के बाद कार्रवाई के नाम पर शून्य होती है । बालू माफिया डंके की चोट पर कहते हैं की जो हमारा काम करेगा वही जिला में रहेगा । ट्रांसफर- पोस्टिंग हम लोग तय करते है सरकार नहीं । 
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