लाैटा अयोध्या का राजसी स्वरूप, धर्म अब विकास पथ पर
लखनऊ। जहां 31 वर्ष पूर्व विवादित बाबरी ढांचा खड़ा था, आज उसी जगह पर भव्य राम मंदिर स्वर्णिम आभा बिखेर रहा है तो अखंड ब्रह्मांड के नायक मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के दिव्य दर्शन को रामभक्त व्याकुल हैं। पूरा देश राममय है। ये सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुर्नजागरण का काल है। जिस तरह रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आस्था का ज्वार उमड़ा, ठीक इसी प्रकार रामभक्ति का ज्वार 1990 में था, फिर 1992 में भी देश के वातावरण में रामनाम की गूंज थी। अब फिर वही भक्ति दिख रही है, लेकिन 31 वर्ष में बहुत कुछ बदल गया। धर्म अब विकास पथ पर चल पड़ा है और अयोध्या में रोजी-रोजगार भी चमकने लगे हैं। अब दुकानदारों की चांदी हो गई है। रामलला के आंगन की तरह उनके घर-आंगन में भी खुशहाली आ गई है। आइए हिन्दुस्थान समाचार बताएगा आपको अयोध्या के इस बदलाव की कहानी।
31 वर्ष पहले अयोध्या युद्ध का प्रतीक बन गई थी। आपसी भाईचारे की दीवार बन गई थी। अयोध्या में सरयू का पानी मात्र था, लेकिन अब माहौल बिल्कुल अलग है। कहीं कोई टेंशन नहीं है। किसी तरह का गुस्सा या नाराजगी नहीं है। सरयू का जल शांत है। माहौल में सिर्फ भक्ति है। कोई रामभजन गा रहा है। कोई पैदल चलकर अयोध्या पहुंच रहा है।ये गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है। अयोध्या अब भाईचारे, आपसी सद्भाव और शक्ति पर भक्ति की जीत का प्रतीक बन गई है। ये सही है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो रहा है। मंदिर का निर्माण श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट करा रहा है। रामभक्तों के चंदे से मंदिर बन रहा है। इसमें सरकार की भूमिका सिर्फ व्यवस्थाओं की है, लेकिन अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर नहीं बन रहा है, पूरी अयोध्या का कायाकल्प हो गया है।
अयोध्या का राजसी स्वरूप, रामलला की राजधानी का स्वरूप फिर वापस लौटा है। इसका श्रेय तो सरकार को ही जाएगा। पांच सौ वर्ष बाद रामलला का दिव्य दर्शन पाकर जो खुशी भक्तों में है, वह बयां नहीं हो रही है। बम की जगह फूल बरस रहे हैं। गोलियां नहीं प्रसाद के गोले मिल रहे हैं। इस बदलाव का श्रेय योगी और मोदी को जाना चाहिए। यह रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या आने वाले सनातनियों के बोल हैं।अच्छी बात यह है कि केवल मंदिरों का विकास नहीं हो रहा है। देवस्थानों तक पहुंचने के लिए हाईवे भी बनाए जा रहे हैं। इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है। लोगों को रोजगार मिल रहा है। कनेक्टिविटी बेहतर हो रही है। जब किसी तीर्थस्थल का विकास होता है तो उसका असर उस पूरे इलाके पर पड़ता है। प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ती है। नई-नई इंडस्ट्री लगती है। फूल का कारोबार, होटल का कारोबार, प्रसाद की दुकान, भोजनालय और कपड़ों से लेकर तमाम तरह के बिजनेस फलते फूलते हैं।
इस वक्त हमारे देश में मंदिर की अर्थव्यवस्था करीब साढ़े तीन लाख करोड़ के आसपास है, जो देश के जीडीपी का करीब ढाई प्रतिशत है। देश में हर साल पर्यटन से होने वाली आमदनी का करीब 60 प्रतिशत राजस्व धार्मिक पर्यटन से ही आता है।मोदी ने अपनी आस्था को छुपाया नहीं। वो हर उस स्थान पर गए जिसका सनातन धर्म में महत्व है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सनातन की इसी शक्ति को पहचाना। धर्म को विकास के साथ जोड़ा और अब उसका असर दिख रहा है। मोदी ने अपने कार्य से अपने व्यवहार से सनातन संस्कृति और भारत की गौरवशाली विरासत के प्रति गर्व करना सिखाया। अयोध्या में राम मंदिर के लिए प्रयत्न तो पांच सौ वर्षों से हो रहे थे। अयोध्या सियासत का केंद्र बन गई थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण बड़ा मुद्दा बन गया। गुलामी के प्रतीकों से मुक्त अयोध्या अब सनातन की पुर्नस्थापना और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुर्नजागरण का प्रतीक बन गई है।
अगले कुछ वर्षों में एक लाख करोड़ होगी अयोध्या की अर्थव्यवस्था
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि अगले कुछ वर्षों में अयोध्या की अर्थव्यवस्था एक लाख करोड़ की होगी। अयोध्या जाने वाले भक्तों की संख्या बढ़ेगी तो दुकानदारों का आय बढ़ेगी। हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। संपन्नता अपने आप बढ़ेगी। ये सब केवल कल्पना नहीं है।
अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाएगा धार्मिक पर्यटन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में देश के नौ बड़े मंदिरों का कायाकल्प हुआ है। हम बात करते हैं अयोध्या की तो भव्य श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद से श्रीरामलला के दिव्य दर्शन के लिए देश-दुनिया से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब तक करीब आठ लाख श्रद्धालु अयोध्या आकर श्रीरामलला का दर्शन कर चुके हैं और लगातार श्रद्धालु दर्शन को आ रहे हैं। यही नहीं, नवनिर्मित राम मंदिर में रिकार्ड तोड़ चढ़ावा भी आया है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद लगभग 3.17 करोड़ का चढ़ावा आया है। इन आंकड़ों से साफ है कि आस्था सिर्फ धर्म का मसला नहीं है। धार्मिक पर्यटन अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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