सुचेतना समाज संस्था महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर

सुचेतना समाज संस्था महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर

बंडा/शाहजहांपुर। आधुनिक युग में महिलाओं ने कृषि से लेकर अंतरिक्ष तक हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर स्थान हासिल कर लिया है। बंडा में अनेक महिलाओं ने छोटे बड़े कदमों के साथ अपना सफर तय कर मुकाम पर पहुंच रही है। अपने सशक्त मनोबल से अपना भविष्य खुद ही गढ़ रही है। क्षेत्र की अनगिनत महिलाओं और किशोरियां अपने आत्मबल से अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए मदद कर रही है।बंडा में चल रही सामाजिक संस्था सुचेतना इन महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जी जान से जुटी है। महिलाओं और किशोरियों को हुनरमंद बनाकर उनको रोजगार के काबिल बना रही है। सुचेतना समाज से जुड़कर क्षेत्र की करीब 78 किशोरियां कढ़ाई का काम शुरू कर दिया है।

इसी तरह संस्था से प्रेरित होकर 22 महिलाएं आईसीआरपी,12 महिलाओं को केयरटेकर का काम मिला, 78 महिलाओं को पोषाहार वितरण का काम मिला। 7 महिलाएं व 4 किशोरियां बीसी सखी के रुप में चयनित हुई। इसी कड़ी में 14 महिलाएं समूह सखी बनी। इसके अलावा 24 महिलाओं ने घर पर रहकर अचार बनाने का काम शुरू किया। जिससे उनका आय का स्रोत बन गया। आधा दर्जन किशोरियां संस्था के माध्यम से सिलाई कर रही है। सिलाई से रोजाना 300 रुपये कमा रही है। 114 महिलाओं ने बकरी पालन व 64 महिलाओं ने भैंस पालन से दूध बेचकर 300 रुपए योजना की आमदनी कर रही है।सामाजिक संस्था सुचेतना निरंतर समाज में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दे रही है।

संस्था का कारवां बढ़ता ही जा रहा है। महिलाओं व किशोरियां को स्वावलंबी व हुनरमंद बनाकर उनके हाथों को मजबूत कर रही है। गांव - गांव जाकर संस्था के कार्यकर्ता महिलाओं के उत्थान की अलख जगा रहें हैं। संस्था की प्रशिक्षक नेहा ने बताया कि संस्था विगत 18 वर्षों से कार्य कर रही है। संस्था का उद्देश्य महिलाओं को जागरूक व स्वावलंबी बनाना है। सामाजिक कार्यों में महिलाएं बढ़ चढ़कर प्रतिभाग करें इसके लिए महिलाओं को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। संस्था की कोर्डिनेटर सिस्टर फुलजेंसिया ने कहा उनकी संस्था महिलाओं व किशोरियां को स्वावलंबी बनाने में मदद करती है। क्षेत्र की अनेकों महिलाओं को संस्था के जरिए रोजगार उपलब्ध हुआ है। अपने हुनर का प्रयोग कर कमाई कर रही है।

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