निजीकरण करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि झूठे आकड़ों, धमकी और दमन के बूते निजीकरण की साजिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी। संघर्ष समिति द्वारा वाराणसी में टैरिफ की सुनवाई के दौरान निजीकरण का मुद्दा नियामक आयोग के सामने उठाकर निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग की जायेगी। गुरुवार को लगातार 225 वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रांत व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज यहां बताया कि निजी घरानों को मदद देने के लिए विद्युत वितरण निगमों ने निजीकरण के पहले ही टैरिफ में 45 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज कर निजीकरण के बाद बिजली दरों में होने वाली बेतहाशा वृद्धि का संकेत दे दिया है। उन्होंने बताया कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारी और बिजली कर्मी 11 जुलाई को वाराणसी में नियामक आयोग के सामने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मुद्दा जोर-शोर से उठायेंगे।
संघर्ष समिति ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में कुल 6,327 करोड़ रूपये की सब्सिडी विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को दी जा रही है। अत्यन्त दुर्भाग्य का विषय है कि सरकार की कैश फंडिंग के नाम पर पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इस सब्सिडी को कैश गैप में जोड़ कर घाटे में दिखा रहा है। इससे ऐसा लगता है कि निजीकरण के बाद किसानों, बुनकरों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त करने की तैयारी है।
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