19 मई को संघर्ष समिति आंदोलन तीव्र करने का लेगी निर्णय

 19 मई को संघर्ष समिति आंदोलन तीव्र करने का लेगी निर्णय

लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण के डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष को अभिमत देने का कोई नैतिक व कानूनी अधिकार नहीं है। अतः विद्युत नियामक आयोग को निजीकरण पर अपना अभिमत देना भी नहीं चाहिए। संघर्ष समिति का वर्क टू रूल आंदोलन रविवार को लगातार पांचवें दिन भी जारी रहा। 19 मई को संघर्ष समिति की कोर कमेटी की मीटिंग बुलाई गई है जिसमें निजीकरण पर प्रबन्धन की हठवादिता को देखते हुए आंदोलन तीव्र करने का निर्णय लिया जाएगा।

समिति के पदाधिकारियों ने आज यहां जारी बयान में बताया कि एनर्जी टास्क फोर्स ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन को निर्देश दिया है कि निजीकरण के डॉक्यूमेंट पर अभिमत और अप्रूवल के लिए इसे विद्युत नियामक आयोग को भेजा जाय।

समिति ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग को अवैध ढंग से नियुक्त किए गए, झूठा शपथ पत्र देने वाले और फर्जीवाडा स्वीकार कर लेने वाले ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा बनाए गए निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर कोई बात नहीं करनी चाहिए। समिति ने कहा कि किसी भी नियम के तहत विद्युत नियामक आयोग को पावर कॉरपोरेशन के कहने पर निजीकरण के किसी दस्तावेज़ पर अभिमत नहीं देना चाहिए।

समिति ने कहा कि सबसे मुख्य बात यह है कि विद्युत नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष अरविंद कुमार ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन के पद पर रहते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त समिति, उप्र के साथ 06 अक्टूबर 2020 को एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यह समझौता उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में हुआ था।

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