सोता रहे विभाग,103 चालानों के बाद भी दौड़ती रही बस !

दो साल की साक्षी सहित तीन साले के देवराज सहित पांच मौतों का जिम्मेदार कौन ? परिवहन या ट्रैफिक !

सोता रहे विभाग,103 चालानों के बाद भी दौड़ती रही बस !

  • 103 चालानों के बाद भी दौड़ती रही बस
  • लगभग 65 चालान ओवर स्पीड के हुए
  • उलटी दिशा में वाहन चालान के चालान भी हुए  

लखनऊ। राजधानी के किसान पथ पर हुए बस अग्निकांड की परते लगातार खुलती जा रही हैं। पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के कारण दो साल की साक्षी,तीन साल के देवराज समेत पांच लोग जिन्दा जलकर मर गए। इस मामले में परिवहन विभाग ने जांच बैठा दी। 

मामले में आरआई राघव कुशवाहा को निलंबित कर दिया। परन्तु इस मामले की तह में जाने से पता चलता है कि बस के कुल 103 चालान अब तक हो चुके थे। हैरान करने वाली बात यह है कि सबसे अधिक चालान ओवर स्पीडिंग के निकले। जबकि रोग साइड वाहन चलाने और नो पार्किंग के चालान भी इनमे शामिल हैं। बावजूद इसके बस संचालक अथवा ड्राइवर के विरुध्द कोई थोड़ कार्रवाई नहीं की गई। इनमे से कुछ चालानों की राशि भर दी गई। इसे राजस्व में इजाफा समझकर रख लिया गया,लेकिन इस लापरवाही पर परिवहन और पुलिस दोनों आंखे मूंदे बैठे रहे और किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की और यह हादसा हो गया।  

गौरतलब है कि बीते दिनों राजधानी के किनासपथ पर बिहार के बेगूसराय से दिल्ली जा रही बस अचानक आग का गोला बन गई थी। इस दौरान बस का चालक और कंडेक्टर यात्रियों की जान जोखिम में डालकर बस से कूद कर फरार हो गए। नतीजा यह रहा कि बस में आवश्यकता से अधिक भरी सवारी बस से निकलने में नाकाम रही और पांच मुसाफिर जिन्दा जलकर मर गए। अब इन मौतों का जिम्मा किस विभाग के ठिकरे फोड़ा जाए यह कह पाना मुश्किल है। बस के कागजों और रजिस्ट्रेशन को लेकर पड़ताल करने पर पता चला है कि बस संख्या यूपी 17 एटी 6372 ने ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन  करने में सभी हदें पार कर दी थी। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन करने में बस के कुल 103 चालान हुए थे।  इनमे से सबसे अधिक लगभग 65 चालान ओवर स्पीडिंग के हैं। 

जबकि उलटी दिशा में गाड़ी चालाने के भी चालान भी हुए हैं। इतने चलानों ने बाद भी बस लगातार फिटनेस में पास होती रही, बस को लगातार परमिट मिलता रहा,परिवहन के किसी अधिकारी ने सवाल उठाने की हिम्मत तक नहीं जुटाई ! ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतने चलानों ने बाद भी यात्रियों भरी यह बस हाइवे पर किसकी अनुमति से दौड़ती रही। किसी परिवहन के प्रवर्त्तन अधिकारी या ट्रैफिक के अधिकारी ने ठोस कार्रवाई करने की हिम्मत क्यों नहीं जुटाई! जिसके कारण इतना बड़ा हादसा हो गया और बस में पांच लोग जिन्दा जलकर मर गए। 

इस मामले में परिवहन आयुक्त से जब बात की गई तो उनका यही कहना रहा कि वाहनों के पंजीयन का काम राज्य परिवहन प्राधिकरण देखते हैं। हालांकि राज्य परिवहन प्राधिकरण का सचिव  परिवहन विभाग के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर रैंक का अधिकारी होता है जिसका कार्यलाय परिवहन आयुक्त कार्यालय में मौजूद है,ऐसे में सवाल उठता है कि क्या परिवहन आयुक्त कार्यालय राज्य परिवहन प्राधिकरण से भिन्न कैसे है।  

तीन चलान के बाद निरस्त हो सकता है लाइसेंस
ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने बताया यदि आपका तीन से अधिक बार चालान होता है तो आपका लाइसेंस निरस्त हो सकता है। ड्राइविंग के दौरान सभी नियमों का पालन करना जरूरी है। किसी भी नियम को तोड़ने पर चालान या कुछ महीने की कैद भी हो सकती है। वहीं, आपका ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है। मोटर व्हीकल एक्ट 1998 की धारा-19 के तहत ऐसी कई स्थिति हैं जब ट्रैफिक पुलिस आपका ड्राइविंग लाइसेंस रद्द कर सकती है। ऐसे में यदि आप ड्राइविंग करते हैं तब आपको इन सभी नियम और धारा पता होना चाहिए।

बस का रजिस्ट्रेशन और चालक का लाइसेंस निरस्त करने के लिए लिखेंगे पत्र
लखनऊ में जो घटना हुई बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। आपके द्वारा जो जानकारी मिली है उस आधार पर परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर बस सहित चालक का पंजीकरण रद्द किये जाने के लिए पत्राचार किया जायेगा। - के सत्य नारायण, एडीजी ट्रैफिक, उत्तर प्रदेश पुलिस  

बस के रजिस्ट्रेशन का काम शासन का काम
बस के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम निजी सचिव राज्य परिवहन प्राधिकरण द्वारा किये जाते हैं। इस मामले में उनसे सम्पर्क करें। - बृजेश नारायण सिंह, परिवहन आयुक्त

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