बर्निंग बस: लखनऊ के इंट्री प्वाइंट पर होता कोई प्रवर्तन दल तो...!

किसान पथ पर तड़के 5 बजे स्लीपर बस आग के गोले में हुई तब्दील

बर्निंग बस: लखनऊ के इंट्री प्वाइंट पर होता कोई प्रवर्तन दल तो...!

  • प्रथम दृष्टया शार्ट सर्किट बता रहें कारण, इमरजेंसी डोर खुला ही नहीं
  • चालक-परिचालकर फरार, पांच यात्री जिंदा जले जबकि कई झुलसे

लखनऊ। राजधानी मुख्यालय से कुछ किमी दूरी पर गुरुवार तड़के मोहनलालगंज किसान पथ पर तड़के पांच बजे के करीब फर्राटा भरती एक स्लीपर बस में अचानक आग लग गई और इससे पहले कि उसमें पैसेंजर क्षमता से अधिक सवार यात्रियों की गहरी नींद टूट पाती, अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही पांच मुसाफिर जिंदा जल गये।

जानकारी के तहत यह स्लीपर प्राइवेट बस बिहार के बेगुसराय से दिल्ली को जा रही थी और लखनऊ के आसपास शार्ट सर्किट की वजह से लगी आगजनी का शिकार हो गई। हैरानी की बात यह रही कि इसे पूरे अग्निकांड में जो जिम्मेदार चालक और परिचालक थे वो तो भाग निकले और जो पांच यात्री जिंदा जल गये, उनमें मां-बेटी और सगे भाई बहन भी शामिल हैं। 

मोहनलालगंज थाने में बिहार के सीतामढ़ी निवासी राम बालक ने बस के चालक, परिचालक और ट्रेवेल प्वॉइंट एजेंसी के मालिक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कराया है। ऐसे में शहर के ही कुछ वरिष्ठजनों से जब बात की गई तो उनका यही कहना रहा कि काश, शहर की सीमा में इंट्री से पहले ही परिवहन विभाग, टैÑफिक विभाग का कोई चेकिंग दल, प्रवर्तन टीम उक्त स्लीपर बस की चेकिंग कर लेता तो शायद इस बर्निंग बस के हादसे को टाला जा सकता था।

विभाग से अलग-थलग परिवहन मंत्री का बयान...!
इस पूरे अग्निकांड में जो सबसे चौंकाने वाला तथ्य सामने आया वो यह रहा कि हादसे का शिकार हुई स्लीपर बस का जब पूरा डिटेल निकाला गया तो वो परिवहन विभाग के नियम-कायदे के हिसाब से फिट पाई गई, जबकि इस प्रकरण पर परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का कहना रहा कि इस बस का परमिट दो साल पहले यानी 2023 में ही समाप्त हो गया था। 

वहीं जब इस मुद्दे पर परिवहन आयुक्त को कॉल किया गया तो उनका नंबर लगातार व्यस्त जाता रहा, जबकि डीटीसी लखनऊ जोन अनिल कुमार ने बताया कि घटनास्थल पर आरटीओ प्रवर्तन लखनऊ संदीप कुमार पंकज और आरआई की टीम पहुंची थी और उनके हिसाब से बस का पेपर वगैरह सब सही था और बाकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा।

स्पेशल परमिट पर ढो रहे दैनिक सवारियां...!
उपरोक्त स्लीपर बस की परमिट 16 मई 2025 तक है। एआरटीओ बागपत की रिपोर्ट के अनुसार बस की कर वैधता 31 मई 2025 तक है। बस की फिटनेस 7 अप्रैल 2026 तक मान्य है। बस की बीमा 13 जुलाई 2025 तक वैध। बस की स्पेशल परमिट 10 से 16 मई 2025 तक है। एआरटीओ प्रशासन रिपोर्ट की सबसे अहम बात है कि बस की स्पेशल परमिट 16 मई 2025 तक पूरी तरह वैध था। हादसा 15 मई को हुआ, यानी बस उस समय परमिट के दायरे में थी। 

जबकि वहीं परिवहन विभाग मुख्यालय के परमिट सेक्शन के कुछ जिम्मेदारों से बात की गई तो उनका यही कहना रहा कि स्पेशल परमिट कुछ समय के लिये होता है, जिसके लिये निर्धारित ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत शुल्क जमा कर संबंधित व्यक्ति वाहन का संचालन करता है और यह भी बताया कि स्पेशल परमिट के तहत टूर, टूरिस्ट, पार्टी आदि की वन टू वन बुकिंग होती है, जबकि बर्निंग बस मामले में जो तथ्य निकलकर सामने आ रहा है कि वो यही है कि आखिर स्पेशल परमिट के तहत कैसे इतने लंबे रूट पर एक राज्य से दूसरे राज्य तक क्षमता से कहीं अधिक मजदूर वर्ग के यात्रियों को ढोया जा रहा था।

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