असुरक्षित दूध को लेकर दर्ज एफआईआर में दंडनात्मक कार्रवाई करने पर रोक
जयपुर। राजस्थान हाइकोर्ट ने सरस डेयरी की कोथून स्थित बीएमसी में असुरक्षित दूध मिलने से जुड़े मामले में डेयरी चेयरमैन ओम प्रकाश पूनिया सहित अन्य को राहत दी है। अदालत ने मामले में चाकसू थाने में दर्ज एफआईआर में डेयरी के अधिकारियों के खिलाफ दंडनात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को 20 दिसंबर तक जवाब पेश करने को कहा है। जस्टिस आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश जयपुर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ, संघ के प्रबंध निदेशक चांद मल वर्मा और चैयरमेन ओमप्रकाश पूनिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता घनश्याम सिंह राठौड़ ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए मामले की सुनवाई 20 दिसंबर तक टाल दी।
याचिका में अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा और अधिवक्ता मयंक गुप्ता ने अदालत को बताया की पुलिस को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही करने की शक्ति प्राप्त नहीं है। खाद्य विभाग के सक्षम अधिकारी की ओर से ही अभियोजन किया जा सकता है और पुलिस सीधे एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी नहीं कर सकती। याचिका में कहा गया कि जयपुर डेयरी उच्चतम गुणवत्ता का दूध व दूध उत्पाद बनाती है और राजनीति रूप से छवि खराब करने के लिए यह कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही जहां से सैंपल लिया गया है, वहां से दूध की बिक्री नहीं की जाती। इसके अलावा जिस टैंकर से दूध का नमूना उठाया गया था उस पर स्पष्ट लिखा था की यह दूध बिक्री के लिए नहीं है। ऐसे के बिना परिष्कृत दूध के नमूने के आधार पर पूरी जयपुर डेयरी के खिलाफ अपराधिक मुकदमा बना देना गलत और नियम विरुद्ध है। इसलिए मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दंडनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि गत 17 नवंबर को मुखबिर की सूचना के आधार पर कौथून डेयरी पर पुलिस ने एक टैंकर जप्त किया था। जिससे लिए गए सैंपल में मरी हुई मक्खियां और अपशिष्ट पाया गया था। इसके साथ ही कौथून डेयरी के चिलिंग प्लांट से लिए सैंपल में भी धूल कण पाए गए थे। जिस पर पुलिस ने जयपुर डेयरी के चेयरमैन एमडी सहित क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी व विजिलेंस अधिकारियों को दोषी मानते हुए एफआईआर दर्ज की थी। वहीं डेयरी चेयरमेन ओम पूनिया के दूध को सुरक्षित बताने के बयान के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था।
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