फसल चक्र परिवर्तन, जैविक खेती एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हो रहा उत्कृष्ट कार्य

फसल चक्र परिवर्तन, जैविक खेती एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हो रहा उत्कृष्ट कार्य

धमतरी।धमतरी जिले का ग्राम परसतराई आज जिले के लिए अन्य गांव के लिए पाठशाला बन गया है। चाहे फसल चक्र परिवर्तन की बात हो या पर्यावरण संरक्षण का कार्य। यहां सभी ने आकर सीखा है कि पर्यावरण और जल संरक्षण का कार्य कैसे किया जाता है। गांव की इस पहल से आसपास के गांव के लोग भी सीख लेते हुए अपने-अपने गांव में फसल चक्र और जल संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैंं। यहां के गांव के पुराने वटवृक्ष पर रक्षा सूत्र बांधकर वृक्षाें को सहेजने, उनकी देखभाल करने का कार्य लंबे समय से किया जा रहा है। गांव के पुराने पेड़ों की गणना करके यहां पर गांव की बेटियों की संख्या के बराबर नए पेड़ लगाने का संकल्प गांववासियों ने लिया है। ग्राम के सरपंच परमानंद आडिल, यमुना सोनबर , देवी साहू, मीणा साहू , गौरबती धुर्वे सहित अन्य लोगों ने बताया कि पूर्व में जब हम धान की खेती किया करते थे, तब हमारे गांव में पानी की बहुत परेशानी होती थी। इस दिशा में ग्राम प्रमुखों और गांव के लगभग 250 किसानों ने गंभीरता से विचार किया और यह निर्णय लिया कि वे अब रबी में धान की फसल नहीं लेंगे। इसके स्थान पर वे अन्य दलहन, तिलहन फसलों की खेती करेंगे, जिसमें पानी कम उपयोग होता हो। ऐसा नहीं करने पर संबंधित किसान के विरूद्ध 27 हजार रुपये अर्थदण्ड लगाने का प्रावधान में ग्रामीणों द्वारा किया गया। इसके साथ ही इस गांव में रैन वाटर हार्वेस्टिंग, सोख्ता गड्ढा, रूफटाप स्ट्रक्चर बनाया गया है साथ ही 203 ट्यूबवेल हैं। पहले जहां भूमिगत जल का स्तर लगभग 200 फीट पहुंच गया था, वह अब लगभग 70 फीट पर आ गया है, जिसके कारण गांव में अब गर्मी के मौसम में भी पानी की कमी नहीं होती है। साथ ही फसल चक्र के कारण भूमि की उर्वरक क्षमता में वृद्धि भी हुई है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है।

मालूम हो कि धमतरी जिले के का एक छोटा सा गांव परसतराई जो कि 299 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इस ग्राम पंचायत परसतराई की कुल जनसंख्या 1465 है, जिसमें 87 प्रतिशत पुरूष और 71 प्रतिशत महिलाएं हैं। यहां फसल चक्र परिवर्तन अपनाई जाती है। गांव के किसानों ने फसल चक्र को अपनाते हुए सामूहिक तौर पर धान की जगह अन्य फसल ली। इस गांव में पुराने पेड़ों की गणना की गई और गांव की बालिकाओं के नाम पर पेड़ लगाए गए हैं। इस गांव में बीते पांच सालों से विवाद पर रिपोर्ट नहीं हुआ है। गांव में शत्-प्रतिशत शौचालय व नलजल है। नियमित कचरा कलेक्शन किया जाता है, जिसका 20 रुपये शुल्क निर्धारित है।

पर्यावरण दिवस पर बुजुर्ग हुए सम्मानित
परसतराई में आयोजित कार्यक्रम में जिला प्रशासन द्वारा गांव के दाे बुजुर्ग चेतराम नेताम और आनंद साहू का शाल एवं श्रीफल, ग्राम सरपंच परमानंद आडिल, तकनीकी सर्वेक्षण दल भूजल बोर्ड के मुकेश आनंद, उद्देश्य कुमार, एनआईटी दल के डीसी झारिया, एवं उनकी पूरी टीम को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।



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