केजरीवाल का मारक यंत्र कितना होगा मारक?

एक तीर से भाजपा संगठन में उथल पुथल

 केजरीवाल का मारक यंत्र कितना होगा मारक?

4 जून के बाद आएंगे केजरीवाल के तीर से निकले घातक परिणाम!

दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद अरविन्द केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मिलने के बाद जो सबसे पहला काम किया है, वह ठहरी हुई भारतीय जनता पार्टी के तालाब में पत्थर फेंकने का किया है। अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उम्र का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा संगठन की आंतरिक गाइडलाइन्स के अनुसार उन्हें अगले साल तक ही काम करने की अनुमति मिलेगी और उनके 75 साल पूरा करते ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री बनेंगे। केजरीवाल यहीं नहीं रुके हैं बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि अगर मोदी 2024 में चुनाव जीतते हैं तो तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के दो माह के अंदर वे उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पदचयुत कर देंगे क्योंकि योगी से मोदी -शाह का 36 का आंकड़ा है और योगी भी 2029 में प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। केजरीवाल यहां भी नहीं रुके, बल्कि उन्होंने मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा है कि भाजपा में कोई भी सुरक्षित नहीं है और यह मोदी की अधिनायकवादी नीति के चलते हुआ है। केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शर्ते लगाई थीं कि उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान न तो शराब घोटाले का जिक्र करना है और न ही शासकीय कामकाज में हस्तक्षेप करना है। यही नहीं उन्हें चुनाव खत्म होते ही 2 जून को कोर्ट में समर्पण करना है। केजरीवाल ने वस्तुस्थिति समझते हुए भाजपा में मोदी - शाह को कमजोर करने का यह तरीका निकाला है। यह स्वयंसिद्ध है कि प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के आभामंडल के चलते पार्टी में एकछत्र राज चलता है और मोदी -शाह की जोड़ी के निर्णय ही अंतिम समझे जाते हैं। यहां तक कि अनेक मौकों पर आरएसएस को भी प्रधानमंत्री की बात रखनी पड़ती है। केजरीवाल ने पार्टी में मोदी -शाह की स्थिति का जिक्र और प्रधानमंत्री के रिटायरमेन्ट की आयु तय कर दत्तचित्त भाजपा में अशांति उत्पन्न कर दी है और प्रधानमंत्री के बचाव में तत्काल अमित शाह को सामने आना पड़ा। ज्ञात रहे कि उम्र के चलते मोदी ने अनेक दिग्गज भाजपाई नेताओं को पहली बार प्रधानमंत्री बनते ही संरक्षक मंडल में डाल कर हाशिये पर ला दिया था। मोदी के निर्णय पार्टी में मान्य ही हों, ऐसा नहीं है। किन्तु निरंतर सफलताओं के चलते मोदी का पार्टी और सत्ता में 100% दबदबा है। यह भी सत्य है कि उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मोदी के इस दबदबे में नहीं आए। मोदी -शाह की जोड़ी ने उप्र में 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले उप्र में नेतृत्व परिवर्तन का मन भी बना लिया था। उप्र के मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात के एक पूर्व आईएएस को पसंद भी कर लिया गया था किन्तु योगी के अड़ियल रवैये के आगे न तो मोदी की चलीं और न शाह की। इस तरह देखा जाए तो इन बातों को कुरेदकर केजरीवाल ने भाजपा संगठन में तीली लगाने का काम किया है। इस समय देश भर में मोदी के बाद कोई दूसरी पंक्ति का नेता देखा जा रहा है तो वे योगी हैं। कट्टर हिंदुत्व की छवि और बेबाक कार्यशैली के चलते वे उत्तर भारत से लेकर पूर्वोत्तर तक में लोकप्रिय हैं और कहीं -कहीं तो उनकी लोकप्रियता देश की सरहदों से भी बाहर चली गई है। ऐसे में मोदी के बाद कौन, सवाल के जवाब में योगी सभी की स्वाभाविक पसंद हैं लेकिन मोदी को अमित शाह पसंद हैं। केजरीवाल की ये शैतानी भाजपा संगठन को फिलहाल भले उथल पुथल न करे लेकिन 4 जून के बाद इसके व्यापक परिणाम भी सामने आ सकते है और न भी आए तो एक बहस संगठन के अंदर अवश्य शुरू होगी। अगर ऐसा हुआ तो केजरीवाल उसके उत्प्रेरक होंगे।

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