NEET: स्कूल में जलाए गए पेपर, मांगने पर भी NTA ने नहीं दिए मूल प्रश्नपत्र

EOU की जांच में कई अहम खुलासे

NEET: स्कूल में जलाए गए पेपर, मांगने पर भी NTA ने नहीं दिए मूल प्रश्नपत्र

नई दिल्ली। NEET परीक्षा में बरती गई लापरवाही को लेकर मेडिकल छात्र नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) पर सवाल उठा रहे हैं। NEET परीक्षा मामले पर जांच भी चल रही है। बिहार में NEET पेपर लीक मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई (EOU) कर रही है। इस बीच सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान पकड़े गए लोगों के पास से 11 रोल कोड मिले हैं। 

EDU खंगालेगी अब इन सवालों के जवाब
आर्थिक अपराध इकाई (EOU)  ने एनटीए से इन 11 रोल कोड से जुड़े परीक्षार्थियों के बारे में जानकारी मांगी थी। अब जाकर NTA ने 11 अभ्यर्थियों का डिटेल भेज दिया है। इन 11 परीक्षार्थियों में 7 लड़कियां और 4 लड़के थे। 11 रोल कोड वाले इन परीक्षार्थियों को नोटिस भेजकर अब EOU ये पूछेगी कि परीक्षा माफियाओं के पास इनके डॉक्यूमेंटस और अन्य जानकारी कैसे पहुंची? जांच में पता चला कि ये सभी अलग-अलग जिलों के परीक्षार्थी हैं। इनका परीक्षा केंद पटना था। 

रिमाइंडर भेजने के बाद भी NTA ने नहीं भेजे प्रश्नपत्र
इसके अलावा जांच के दौरान कुछ प्रश्न पत्र जले हुए भी मिले हैं। फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) में जांच के लिए भेजे जाने के लिए EOU ने NTA से मूल प्रश्नपत्र भी मांगा था, लेकिन कई बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी अभी तक मूल प्रश्न पत्र NTA ने नहीं भेजा है। 

स्कूल की छत से जले हुए प्रश्न पत्र बरामद
पटना के खेमनीचक इलाके में जिस लर्न प्ले स्कूल की छत पर ये जले प्रश्न पत्र मिले थे, उसी स्कूल की छत से ये जले प्रश्न पत्र बरामद हुए हैं। इसी स्कूल के बारे में पटना के DAV स्कूल में परीक्षा के तुरंत बाद पकड़े गए आयुष नाम के छात्र ने पुलिस को ये बताया कि परीक्षा के एक दिन पहले उसके अलावा 20-25 अन्य छात्रों को प्रश्न पत्र और उत्तर देकर यहां रटवाया गया था। 

आनन-फानन में बंद किया गया स्कूल
बता दें कि हमारे संवाददाता ने गुरुवार को खेमनीचक इलाके में इस स्कूल को बहुत खोजा लेकिन नहीं मिला। सूत्रों के अनुसार, इस स्कूल को पेंट करके नाम वैगरह मिटा दिया गया है। साथ ही स्कूल को बंद भी कर दिया गया है।

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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