बांदा लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मणों की उपेक्षा से उबाल
बांदा । बांदा चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदाता संख्या के बावजूद इस बार लोकसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने ब्राह्मण समाज को तवज्जो न देने को ब्राह्मणों ने समाज के अपमान के रूप में लिया है। समाज के लोगों ने राजनीतिक पार्टियों की इस उपेक्षा को पूरे समुदाय का अपमान मानते हुए इस संबंध में ब्राह्मण महासभा की बैठक बुलाकर आगामी रणनीति पर चर्चा की है।
बांदा चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र में आजादी के बाद से अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं ,जिसमें ब्राह्मण समाज के 8 सांसद निर्वाचित हुए हैं। इनमें शिवदयाल उपाध्याय, रामरतन शर्मा, अंबिका प्रसाद पांडे,रामनाथ दुबे, भीष्म दुबे, प्रकाश नारायण त्रिपाठी, रमेश चंद्र द्विवेदी और भैरव प्रसाद मिश्र शामिल हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में ब्राह्मणों की सर्वाधिक 2 लाख 30 हजार मतदाता संख्या है। इसी वजह से हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण निर्णायक भूमिका अदा करता है। इस बार लोकसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने ब्राह्मण समाज को महत्व नहीं दिया है। अब केवल बहुजन समाज पार्टी से आसरा है। इसीलिए ब्राह्मण समाज में दबाव बनाने के लिए रणनीति बनाई है।
गुरुवार को शहर के सिविल लाइन में आयोजित ब्राह्मण महासभा की बैठक में अध्यक्ष संतोष द्विवेदी ने कहा कि बांदा-चित्रकूट संसदीय क्षेत्र से अब तक सर्वाधिक आठ बार ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व रह चुका है। संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक संख्या होने के बावजूद किसी भी प्रमुख दल ने समाज को अहमियत न देकर समाज का अपमान किया है। समाज का एक एक व्यक्ति अपने साथ अन्य वर्ग को प्रभावित करने की क्षमता रखता है और भारतीय संस्कृति व भारतीय के संरक्षण में समाज की प्रमुख भूमिका रही है। उन्होंने सियासी दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी दल या व्यक्ति ब्राह्मण समाज के धैर्य को उनकी कमजोरी समझने की भूल न करे।
श्री द्विवेदी का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल ने अगर ब्राह्मण समाज के व्यक्ति को चुनाव मैदान में उतारा तो इस बार ब्राह्मण समाज अपनी ताकत दिखाने को तैयार है । पूरी ताकत के साथ एकजुट होकर संसद में भेजने का काम समाज करेगा। अब तक हुए समाज के सांसदों ने जनहित में कर्तव्यनिष्ठा व ईमानदारी से जन सेवा की है, जिन्हें आज भी याद किया जाता है।संगठन के पदाधिकारी राजा रमाकांत ने भाजपा प्रत्याशी का नाम लिए बगैर कहा कि सभी पार्टियां अपने प्रत्याशियों का कार्य मूल्यांकन किए बगैर उनको प्रत्याशी बना देती है। जो उचित नहीं है। सनातन धर्म के स्तंभ ब्राह्मण का निरादर करना राजनीतिक दलों का फैशन बन गया है।
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