पर्यावरण मंत्रालय के निदेशक पेश होकर बताए, क्यों नहीं की आदेश की पालना

पर्यावरण मंत्रालय के निदेशक पेश होकर बताए, क्यों नहीं की आदेश की पालना

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सांभर झील के वेटलैंड पर अतिक्रमण और अवैध तरीके से नमक दोहन के मामले में गठित कमेटी की मीटिंग की जानकारी अदालती आदेश के बावजूद न्यायमित्र सहित अन्य को नहीं देने और जांच रिपोर्ट पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने पर्यावरण मंत्रालय के निदेशक व राज्य के जलवायु परिवर्तन प्रवर्तन अधिकारी को बीस दिसंबर को हाजिर होने को कहा है। अदालत ने दोनों अधिकारियों से पूछा है कि अदालती आदेश की पालना क्यों नहीं की गई। जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान व हिंदुस्तान साल्ट लि. की याचिका पर दिए।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अदालती आदेश के बाद भी मामले में गठित कमेटी के सदस्यों ने रिपोर्ट पेश क्यों नहीं की गई। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि कमेटी की मीटिंग बीते दिन ही हुई है और रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को तलब किया। वहीं न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता आरबी माथुर ने कहा कि अदालत ने 2 अगस्त 2023 को वेटलैंड एरिया में अतिक्रमण के आरोपों की जांच के लिए राज्य के सीएस को निर्देश दिया था कि वे इस संबंध में हाई लेवल कमेटी बनाकर इसकी जांच कराए। इस दौरान कमेटी हिन्दुस्तान साल्ट की आपत्तियों को भी सुने और अदालत में अपनी रिपोर्ट दे। इसके बाद की सुनवाई में 5 अक्टूबर 2013 को अदालत को बताया कि कमेटी बना दी है और वह अपनी रिपोर्ट दे देगी और इसके लिए समय मांगा गया। इसके बाद पुन: कहा कि छह सदस्यों की कमेटी बना दी है और वह छह सप्ताह में रिपोर्ट दे देगी, लेकिन अब कहा जा रहा है कि मीटिंग कर ली है और रिपोर्ट दे देंगे। जबकि हिन्दुस्तान साल्ट व न्यायमित्र को इसकी जानकारी नहीं दी गई। अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए पर्यावरण मंत्रालय के निदेशक और राज्य के जलवायु परिवर्तन प्रवर्तन अधिकारी से 20 दिसंबर को हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।

 

 

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