लोकसभा स्पीकर ने साफ शब्दों में कहा कि सदन की गरिमा जरूरी

लोकसभा स्पीकर ने साफ शब्दों में कहा कि सदन की गरिमा जरूरी

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा को पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा से निकाल दिया गया है.लोकसभा में महुआ मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया है. महुआ के खिलाफ ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के आरोपों को लेकर एथेक्स कमेटी की रिपोर्ट के मामले में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही स्थगन के बाद हुई.

परंपरा तोड़कर बोलने नहीं दिया जाएगा
इस दौरान लोकसभा स्पीकर ने साफ शब्दों में कहा कि सदन की गरिमा जरूरी है. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने आधे घंटे समय चर्चा की अनुमति दी. लोकसभा स्पीकर ने कहा कि ये संसद है, न्यायालय नहीं. परंपरा तोड़कर बोलने नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहगा कि अगर सदन की गरिमा के लिए कड़े फैसले लेने पड़ेंगे तो लिया जाएगा.

रिपोर्ट पढ़ने के लिए समय दिया जाए
जब कार्यवाही शुरू हुई तो महुआ मोइत्रा पर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए विपक्षी सांसदों ने समय मांगा. अधीर रंजन चौधरी ने चर्चा की शुरुआत की. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 406 पन्नों की रिपोर्ट इतनी जल्दी कैसे पढ़ें, इसे पढ़ने के लिए 3-4 दिन का समय दिया जाए.

रिपोर्ट आई और बहस शुरू
इस दौरान कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि जिन पर आरोप लगाया गया उनको अपनी बात कहने का मौका ही नहीं मिला. यह किस प्रकार का न्याय है. विडंबना है कि 12:00 बजे रिपोर्ट आई और 2:00 बजे बहस शुरू हो गई. यह मुद्दा बहुत संवेदनशील है. महुआ मोइत्रा को बोलने का मौका दें ,तीन-चार दिन में आसमान नहीं गिरेगा.

क्रॉस एग्जामिन करने का अधिकार होना चाहिए
उन्होंने कहा कि मैं 31 साल से वकालत कर रहा हूं पहली बार बिना दस्तावेज पढ़े अपनी बात रखनी पड़ रही है. इतनी जल्दबाजी क्या थी. आप तीन दिन बाद इस पर चर्चा कर सकते थे. रिपोर्ट को पढ़ने के लिए घंटे से भी काम का समय मिला. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि जिन लोगों ने आरोप लगाए हैं उनको क्रॉस एग्जामिन करने का भी अधिकार होना चाहिए.

निष्पक्ष जांच होना अनिवार्य
लोकसभा में चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि महुआ मोइत्रा को बोलने दिया जाए प्रभावित पक्ष को नहीं सुनना अन्याय है. महुआ को सुने बिना निष्पक्ष जांच कैसे होगी? ये संविधान का उल्लंघन है.

 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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