मुहर्रम पर शिया समुदाय की तक़रीर हुई
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झांसी। दरगाह ए मौला ए कायनात सैयद मोहम्मद नकी आब्दी के इमामबाड़े में मुहर्रम की सात तारीख पर आयोजित तक़रीर में मौलाना सबर साहब किबला लखनवी ने कहा कि मोहर्रम वह महीना है जिसमें इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों को यजीद वा यजीदी सेना ने कत्ल कर दिया था। इमाम हुसैन ने यजीद की बात मानने से इनकार कर दिया था और यजीद से जंग की थी। इस जंग में उनके साथ बूढ़े बच्चे जवान और बीमार शामिल थे जिसमें जालिम हुरमुला ने 6 माह के भूखे प्यासे अली असगर को अपने भारी भरकम तीर का निशाना बनाकर कत्ल कर दिया था।
आज सात मुहर्रम को हजरत अब्बास अलमदार का अलम की जियारत कराई जाती है। क्योंकि हजरत अब्बास अलमदार नहरे फुराद से अपनी भतीजी नन्ही शकीना वा उनके मासूम साथियों के लिए नहरें फुराद से पानी लेने के लिए गए थे क्योंकि यह सभी काफी दिनों से प्यास की शिद्दत से तड़प रहे थे। इसी बीच यजीदी लश्कर ने अब्बास अलमदार को घेर लिया और उनको शहीद कर दिया। इसके बाद इमामबाड़े में अलम बरामद हुआ और नोहा खानो ने नोहा पड़ा जिसमें या अब्बास या हुसैन की सदाओ से पूरा माहौल गमगीन हो गया और जंजीर और हाथ का मातम हुआ। इस अवसर पर शिया समुदाय के लोग भारी मात्रा में शामिल रहे। सभी का आभार फुरकान आब्दी ने व्यक्त किया।
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