मोक्ष की पांच गतियों में सायुज्य मुक्ति सबसे सर्वश्रेष्ठ है : जीयर स्वामी
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प्रथम सालोक्य मुक्ति यानी प्रभु लोक निवास करना, द्वितीय सासृष्ट मुक्ति इसमें भगवान के सानिध्य में सृष्टि करना । तृतीय सामीप्य मुक्ति यानी प्रभु के समीप में वास करना, चतुर्थ सारूप्य मुक्ति यानी प्रभु रुप पाना एवं पांचवीं मुक्ति है सायुज्य मुक्ति जो सबसे सर्वश्रेष्ठ है । इसमें प्रभु के श्रीचरणों में मिल जाना । लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि मोक्ष तो सत्यकर्मो के बाद मिलता है । अगर घर में बुजुर्गो की सेवा नहीं होगी तो परलोक क्या इस लोक में भी सम्मान नहीं मिलेगा । यह बातें श्री लक्ष्मी प्रपन्न श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहीं । स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के बरना गांव में इन दिनों स्वामी जी महाराज का श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ चल रहा है । तृतीय स्कंध में उन्होंने बताया कि माता देवहूति को भगवान कपिल उपदेश दे रहे हैं । उन्होंने इन पांच मुक्तियों के बारे में बताया । लेकिन उन्होंने पूछा कि मन तो स्थिर रहता नहीं । इसको कैसे शांत रखा जाए । तब उन्होंने बताया इसे हमेशा काम में लगाए रखें । खाली छोड़ने पर तो यह चंचलता करता ही है । मन को लगाने के लिए भक्ति करनी होती है । भक्ति को पुष्ट करने के तीन तरीके हैं । पहला है विश्वास शास्त्र, वेदों, संतों की वाणी, परमात्मा के उपदेश इन पर विश्वास करना चाहिए । दूसरा है समर्पण इसका अर्थ है अपने कर्म एवं भाव को समर्पित करना । यह सोचना कि जो हुआ वह भगवान की इच्छा से ही हुआ है । अपने काम को पूरी ईमानदारी से भगवान का आदेश मानकर करना । तीसरा मूल है संबंध आप बहुत अच्छे हैं सारे काम सही करते हैं पर आपका संबंध तो किसी से होना चाहिए । वह संबंध परमात्मा से करें । जब भी मन भटके तो भगवान को याद करें ।
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