आलू की फसल में लगने वाली फफूंद रोग से बचाव के उपाय

आलू की फसल में लगने वाली फफूंद रोग से बचाव के उपाय

रायबरेली-जिला उद्यान अधिकारी जयराम वर्मा ने कहा है कि जनपद रायबरेली के जिन किसान भाइयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का पर्णीय छिड़काव नहीं किया है या जिनकी आलू की फसल में अभी पिछेती झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन सभी किसान भाईयों को यह सलाह दी जाती है, कि वे मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरोथेलोनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से अर्थात् 2.0-2.5 किलोग्राम दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्लेयर छिड़काव तुरन्त करें। साथ ही साथ यह भी सलाह दी जाती है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो

उनमें किसी भी फफूंदनाशक-साईमोक्सेनिल+मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा फेनोमिडोन मेन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ 1.0 किलोग्राम मैन्कोजेब का 2.0 किलोग्राम (कुल मिश्रण 3.0 किग्रा) प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें। फफूंदनाशक को दस दिन के अन्तराल पर दोहराया जा सकता है। लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अन्तराल को पटाया या बढ़ाया जा सकता है। किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूंदनाशक को बार-बार छिड़काव न करें एवं बारिश के दौरान फफूंदनातक के साथ स्टीकर को 0.1 प्रतिशत की दर (1.0 मिली० प्रति लीटर पानी) के साथ मिलाकर प्रयोग करें।

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