बजट में किसानों के लिए केवल झूठे दावे हैं-सवित मलिक 

सब्जी और फल किसानों के चक्रीय नुकसान का कोई उपाय नहीं।

बजट में किसानों के लिए केवल झूठे दावे हैं-सवित मलिक 

शामली -अंतरिम बजट को लेकर किसान यूनियन राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सवित मलिक ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और बजट को लेकर सवाल अनेक सवाल खड़े किए हैं।उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट भारत के किसानों और जनता के साथ एक बड़ा धोखा है। यह झूठ और फर्जी दावों से भरा है।वित्त मंत्री ने दावा किया कि पीएम सम्मान निधि धनराशि हर साल 11.8 करोड़ परिवारों को हस्तांतरित की जाती है। यह बिल्कुल झूठ है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2019 में पहली किस्त के बाद से मई जून 2022 में यह संख्या घटकर 3.87 करोड़ हो गई थी।जबकि बेरोजगारी और सम्मानजनक वेतन और पेंशन के लिए कोई राहत नहीं है, न ही मनरेगा या किसी अन्य योजना में, सरकार ने बेशर्मी से दावा किया है कि 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है।
 
ऐसा तब है जब मोदी सरकार के तहत लगातार विश्व गरीबी सूचकांक में भारत की रैंक गिर रही है और पिछले साल 125 में से 111वां थी। भारत में 41% बच्चे स्टंटिड, कद से छोटे है, और 33% वेस्टिड, यानि कम वजन के हैं। 18 से 20% वयस्कों में भी बॉडी मास इंडेक्स, यानि कम वजन के हैं।सरकार द्वारा उपयोग किए जाने वाले बहुआयामी गरीबी सूचकांक* के मानदंड इन सुविधाओं के किसी भी प्रदर्शन या परिणाम का मूल्यांकन किए बिना सुविधाओं के प्रावधानों को ही प्रयुक्त करते हैं। इसमें ऐसे बैंक खाते शामिल हैं जिनमें से अधिकांश शून्य बैलेंस वाले हैं। इसमें प्राप्त लाभ की जवाबदेही के बिना शिक्षा और स्वास्थ्य प्रावधान शामिल हैं। इसका उपयोग केवल लोगों को उन्नत घोषित करने के लिए किया गया है।जबकि सरकार लापरवाही से नैनो कण उर्वरकों को बढ़ावा दे रही है,
 
वे अधिक उत्पादक साबित नहीं हुए हैं और यह योजना किसानों को अतिरिक्त लागत पर नैनो यूरिया और नैनो डीएपी खरीदने के लिए मजबूर कर रही है।बजट में फलों और सब्जियों के उत्पादन में लगे किसानों के लिए कोई राहत की घोषणा नहीं की गई है, भले ही हर कुछ महीनों में आलू, प्याज, टमाटर के किसानों को भारी चक्रीय नुकसान होता है।सीतारमन ने माइक्रोफाइनेंस, समूह योजना के तहत अब 1 करोड़ ‘लखपति बहुएं’ होने का दावा किया है। हालाँकि, लगभग 27% की ब्याज दर के साथ, जो कि केसीसी के तहत 4% से कहीं अधिक है, गरीब कर्ज न चुकाने के दबाव में हैं, अपने घर छोड़ रहे हैं और निजी ऋणदाताओं के शिकार हो रहे हैं।एकमात्र सकारात्मक अप्रत्यक्ष मान्यता 300 यूनिट की मुफ्त बिजली की मांग की है, हालांकि इसमें कोई ठोस राहत नहीं दी गई है। पूंजी परिव्यय में 11.1ः की वृद्धि होनी है, लेकिन यह मुख्य रूप से अमीरों के लिए बेहतर सुविधाओं जैसे एयरवेज, ट्रेनों, सड़कों, मनोरंजन सुविधाओं आदि के लिए है।
 
 
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