अस्थमा पीड़ित महिलाएं न लगाएं झाड़ू व सब्जी में छौंक: डा. सूर्यकान्त
लखनऊ। विश्व अस्थमा दिवस हर साल को मई माह के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है। डॉ. सूर्य कान्त,विभागाध्यक्ष रेस्पिरेटरी मेडिसिन,किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय बताते हैं कि इस साल अस्थमा दिवस की थीम है– “ इन्हेलर थेरपी को सभी के लिए सुलभ बनाना” ।थीम के अनुसार अस्थमा के प्रबंधन में इन्हेलर का उपयोग बड़ा लाभदायक होता है।
अस्थमा के दौरे मरीज और उसके तीमारदारों के लिए परेशानी का सबब बनते हैं। इसके कारण मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। इन्हेल्ड कोर्टिकोस्टेरॉयडयुक्त दवाएं अस्थमा का कारण बनने वाली सूजन का इलाज कर दौरे को रोकती हैं। अस्थमा सांस सम्बन्धी बीमारी है जिसमें सांस की नली में सूजन और संकुचन हो जाता है, जिससे कि सांस लेने में कठिनाई होती है। देश में करीब 3.5 करोड़ लोग तथा प्रदेश में लगभग 60 लाख लोग प्रभावित हैं।
अस्थमा के कारण हैं-पर्यावरणीय, आनुवंशिकीय,एलर्जी और श्वसन सम्बन्धी संक्रमण। इसके साथ ही कभी कभी बहुत देर तक व्यायाम करने से, कुछ दवाएं, बहुत ज्यादा ठंड या ठंडी चीजों का सेवन ट्रिगर का काम करती हैं। अस्थमा के लक्षण हैं–सांस लेने में कठिनाई,बलगम वाली या सूखी खांसी,सांस लेते समय सीटी की सी आवाज,छाती में भारीपन या जकड़न,थकान,व्यायाम करते समय सांस फूलना आदि।
डॉ. सूर्य कांत, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, इन्डियन कॉलेज ऑफ़ एलर्जी, अस्थमा और अप्लाइड इम्यूनोलोजी के अनुसार अस्थमा से बचाव के लिए ट्रिगर वाली चीजों जैसे पराग के कणों,चूल्हे पर खाना बनाते समय और छौंक के समय निकलने वाला धुआं सहित अन्य किसी भी प्रकार के धुएं, ठंडी हवा, जानवरों की रूसी, धूल आदि से बचें।
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