जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक खतरा: धनखड़

हमें अपने वनों की रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए

जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक खतरा: धनखड़

  • हम प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन नहीं कर सकते

नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक संकट करार देते हुए कहा है कि स्वस्थ वन स्वस्थ जीवन का आधार हैं।उपराष्ट्रपति ने सोमवार को सिरसी के वानिकी महाविद्यालय में ‘राष्ट्र निर्माण में वानिकी की भूमिका’ विषय पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए कहा कि हमें अपने वनों की रक्षा करने और हर संभव तरीके से योगदान देने का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है। उन्होंने कहा कि यह एक वैश्विक खतरा है और स्थिति चिंताजनक रूप से गंभीर है। उन्होंने कहा कि वन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि किसी देश के वन अच्छी स्थिति में हैं, तो उसके लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

उन्होंने कहा कि कृषि हमारी जीवन रेखा है। लेकिन हमें वनों की आवश्यकता है क्योंकि वे जलवायु को नियंत्रित करते हैं, आपदाओं को कम करते हैं, और आजीविका का सहयोग करते हैं ।उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत भूमि आध्यात्मिकता और स्थिरता का संगम है। स्थिरता सिर्फ़ अर्थव्यवस्था के लिए ही ज़रूरी नहीं है। यह स्वस्थ जीवन के लिए भी ज़रूरी है। हमारी वैदिक संस्कृति ने हज़ारों सालों से स्थिरता का उपदेश दिया है। और आज, सतत विकास के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हम प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन नहीं कर सकते। हमें खुद को सिर्फ़ न्यूनतम ज़रूरतों तक सीमित रखना चाहिए। हम सभी को इसके बारे में जागरूक होने की ज़रूरत है।गहन पारिस्थितिक चेतना का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हमें आत्म-बोध की भावना विकसित करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण जीवन का वह पहलू है जो पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव को प्रभावित करता है। जब पर्यावरण को चुनौती दी जाती है, तो यह चुनौती सिर्फ़ मानवता के लिए नहीं होती बल्कि यह इस ग्रह पर मौजूद हर चीज़ को प्रभावित करती है।

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